UP News: बुजुर्ग के गुजर जाने के बाद घंटों चिता के पास बैठा रहा पालतू बंदर, आस पास के लोग हुए आश्चर्यचकित
Amroha: उत्तर प्रदेश के अमरोहा में एक बुजुर्ग से एक बंदर का प्रेम इतना हो गया कि उसके मरने के बाद बंदर बुजुर्ग की अर्थी पर घंटो तक बैठा रहा और उसकी अर्थी पर लिपट कर अंतिम संस्कार में भी साथ पहुंचा.
Amroha News: उत्तर प्रदेश के अमरोहा में एक बुजुर्ग (रामकुंवर सिंह) से एक बंदर का प्रेम इतना हो गया कि उसके मरने के बाद बंदर बुजुर्ग की अर्थी पर घंटो तक बैठा रहा और उसकी अर्थी पर लिपट कर अंतिम संस्कार में भी साथ पहुंचा. इस नजारे को देख आस पास के लोग हैरत में पड़ गए. कहते हैं जानवर वफादार होते हैं और इसी का एक उदाहरण अमरोहा में देखने को मिला. दो वक्त की रोटी खिलाने से बंदर और रामकुंवर सिंह का प्रेम इतना बढ़ गया कि लोग आश्चर्यचकित हो गए.
बंदर का प्रेम देख कर लोग भी आश्चर्यचकित हैं
आपको बता दें कि पूरा मामला अमरोहा के जोया कस्बे का है जहां खाना देने वाले रामकुंवर सिंह और बंदर के बीच अटूट रिश्ता बन गया. रामकुंवर सिंह के पास बीते दो महीने से एक बंदर पास आकर बैठ जाता था. रामकुंवर सिंह उसे खाने के लिए रोटी दे देते थे. बंदर का उनके पास प्रतिदिन का आना हो गया. वह उनके पास आकर बैठता और खाना खाने के बाद भी काफी देर तक उनके साथ खेलता रहता था. अब मंगलवार सुबह अचानक रामकुंवर का निधन हो गया. पालतू जानवरों का इंसानों के प्रति स्नेह तो अक्सर देखा जाता है, लेकिन दो वक्त की रोटी देने वाले व्यक्ति से एक बंदर का लगाव इतना बढ़ गया कि उनके निधन के बाद वह भी गमगीन रहा. वह न सिर्फ अर्थी के पास दिनभर बैठा रहा, बल्कि अंतिम संस्कार के लिए तिगरी तक गया. वाहन में रखी अर्थी से लिपट कर जोया से तिगरी धाम तक पहंचा. बंदर के इस प्रेम को देख कर लोग भी आश्चर्यचकित हो रहे थे.
थाना डिडौली का है मामला
वाक्य थाना डिडौली के कस्बा जोया के मोहल्ला जाटव कॉलोनी का है. यहां पर वृद्ध रामकुंवर सिंह का परिवार रहता है. गत दो महीना से एक बंदर उनके पास आकर बैठ जाता था. रामकुंवर सिंह उसे खाने के लिए रोटी दे देते थे. बंदर का उनके पास प्रतिदिन का आना हो गया. वह उनके पास आकर बैठता और खाना खाने के बाद भी काफी देर तक उनके साथ खेलता रहता था. आज उनके गुजर जाने पर वह काफी देर तक चिता के पास ही बैठा रहा और उसके आसपास ही घूमता रहा.
इतना ही नहीं जब घरवालों ने तिगरी धाम ले जाने के लिए अर्थी डीसीएम में रखी तो बंदर भी डीसीएम में सवार हो गया. जोया से तिगरी धाम तक वह अर्थी से लिपटा रहा. वही अंतिम संस्कार होने तक चिता के पास ही मौजूद रहा और वापस लोगों के साथ जोया लौट आया. अब बंदर रामकुंवर के घर ही मौजूद है. हैरत की बात यह है अभी भी कुछ नहीं खाया है, काफी देर बाद घरवालों के प्रयास करने के बाद बंदर ने खाना खाया. रामकुंवर के प्रति बंदर का लगाव देखकर लोग आश्चर्यचकित हो रहे थे जब से अंतिम संस्कार से लोटा है बंदर तब से गुमसुम रहता है.