मुजफ्फरनगर में थाना नई मंडी कोतवाली पुलिस को उस समय बड़ी सफलता हाथ लगी जब पुलिस ने भोले भाले लोगों का आधार कार्ड चोरी कर फर्जी कागजात तैयार कर बैंक से लोन पास कराने और उन पर गाड़ी खरीद कर बेचने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है पुलिस ने इस शातिर गिरोह के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया है जिनके कब्जे से पुलिस ने चार लग्जरी कार बरामद की है. पुलिस पूरे मामले की छानबीन में जुटी है गिरोह में एक बैंक के अधिकारी के संलिप्त होने की भी संभावना है जिसकी पुलिस जांच कर रही है पुलिस के अनुसार गिरोह अब तक फर्जी कागजातों के आधार पर लोन लेकर लगभग 15 लग्जरी गाड़ियां भेज चुका है जिनकी कीमत 70 लांख रुपये बताई जा रही है.


क्या है पूरा मामला
दरअसल मामला जनपद मुजफ्फरनगर के थाना नई मंडी कोतवाली क्षेत्र का है जहां संदीप कुमार पुत्र स्व0 ब्रजपाल सिंह एडवोकेट नाम के एक व्यक्ति ने गत दिनों थाना नई मण्डी मैं मुकदमा दर्ज कराया था कि वह बैंक से लोन लेना चाहता था मगर उसे पता चला कि कुछ लोगों ने कूट रचित तरीके से उसके आधार कार्ड व पेन कार्ड के दस्तावेज बनाकर फर्जी तरीके से 1,19,556 रुपये का क्रेडिट कार्ड एवं 17,50,243 रुपये का आटो लोन कराया गया. आटो लोन पर एक टाटा हेरियर (chasis no- MZBEU813LLN085485/EN. NO- D4FALM977087) को निकाला गया है. इस मुकदमे के संबंध में जब थाना नई मण्डी पुलिस ने मामले की तहकीकात शुरू करी तो पुलिस के सामने इस गैंग की परतें खुलती गई जिसके बाद पुलिस ने इस गैंग के चार आरोपियों अंकुश त्यागी पुत्र मुकेश त्यागी निवासी 1028/8 रामपुरी थाना कोतवाली नगर मुज़फ्फरनगर, आलोक त्यागी पुत्र बिजेन्द्र त्यागी निवासी एकता बिहार रुडकी रोड थाना कोतवाली नगर मुज़फ्फरनगर , संदीप कुमार पुत्र जयभगवान निवासी गली नं0 -22 गाधी कालोनी थाना नई मंडी मुज़फ्फरनगर और सुधीर कुमार पुत्र रामपाल सिह निवासी म0न0-17 गाधीनगर थाना नई मंडी मुज़फ्फरनगर को गिरफ्तार किया.


पुलिस ने किया पर्दाफाश
घटना का खुलासा करते हुए एसपी सिटी अर्पित विजयवर्गीय ने प्रेस वार्ता कर मीडिया के सामने बताया कि इस गिरोह के घटना करने का तरीका इस प्रकार है कि यह गिरोह फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड व फर्जी फोटो बनाकर बैंक मे कागज जमा कर लोन पास कराकर नई गाडी कम्पनी से खरीद लेते है . यह लोग अब तक करीब 15 गाडियो का फर्जी फाईनेंन्स करा चुका है. एक गाडी को खरीदने के लिये गाडी की कीमत का 20 प्रतिशत बैंक मे जमा कराते है जिसमे फर्जी पता होने के कारण बैंक उसे ट्रेश नही कर पाता है. इस गैंग मे एक फाईनेन्सर होता है और दो तीन लोग फर्जी कागज तैयार करते है तथा फर्जी फोटो देते है . इस गैंग की बैंक कर्मियो से मिलीभगत होती है. यह लोग खरीदी हुई गाडी को गाडी खरीदने बैचने का काम करने वाली डीलरों को पूरे रेट मे बेच देते है. इस गैंग मे गाडी बेचने पर आये हुए रुपयों को अपना एक हिस्सा होता है और आपस मे पैसे बेचने के बाद बांट लेते है. फिलहाल पुलिस पूरे गैंग की छानबीन में जुटी है जानकारी के अनुसार इस गिरोह में बैंक के कर्मचारी अधिकारी के होने की भी संभावना है जिसकी पुलिस जांच पड़ताल में जुटी है.


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