Fake Disability Certificates: यूपी के प्रतापगढ़ (Pratapgarh) में दिव्यांग पत्रों में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है. यहां पर फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्र (Fake Disability Certificates) के आधार पर कई अपात्र सरकारी नौकरी, पेंशन की सुविधा का लाभ उठा रहे हैं. जांच के दौरान 1900 से ज्यादा फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट निरस्त किए गए हैं. UDID के द्वारा जांच के बाद इन सर्टिफिकेट्स को रद्द किया गया है. 


दिव्यांग सर्टिफिकेट में फर्जीवाड़ा


प्रतापगढ़ जिले में दिव्यांग प्रमाणपत्रों को बनाए जाने में व्यापक पैमाने पर अनियमितता खुलकर सामने आई है. इस अनियमितता का खुलासा उस वक्त हुआ जब UDID से प्रमाणपत्रों को जोड़ने की शुरुआत हुई. इस प्रक्रिया के दौरान पाया गया कुल जारी किए गए दिव्यांग प्रमाणपत्रों 57486 में 1923 सर्टिफिकेट फर्जी थी, जिसके बाद इन्हें निरस्त कर दिया गया. हैरानी की बात है जहां फर्जी सर्टिफिकेट के जरिए आरक्षण का फायदा उठाकर कई लोगों ने सरकारी नौकरियों को हासिल कर लिया तो वहीं कई लोग तो पेंशन तक ले रहे थे.


फर्जी सर्टिफिकेट से हासिल की नौकरी


इस खुलासे से फर्जी तौर पर प्रमाणपत्र बनवा कर सुविधाओं का लाभ उठाने वाले  उपभोग करने वालों में हड़कम्प मच गया है अब तक कुल UDID कार्ड 13839 जनरेट हुए है जिसके बाद तमाम पेंशन धारकों की पेंशन रोक दी गई हैं. अब तक पेंशन लेने वाले 26648 लोगों में से अब जितने लोगों के प्रमाणपत्र प्रमाणित होंगे उतने लोगों को ही पेंशन की सुविधा मिलेगी.


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ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि जिन लोगों ने सरकारी नौकरी हथियाने के लिए फर्जी प्रमाण पत्र बनवाए और अब भी बेसिक शिक्षा विभाग में नौकरी कर रहे हैं. उनका क्या होगा. क्या उन पर भी इसी तरह गाज गिरेगी, जैसी पेंशन हासिल करने वालों की पेंशन को रोका गया है. 


दोषियों पर हो सकती है कार्रवाई

फर्जी प्रमाणपत्रों को लेकर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. जीएम शुक्ल ने कहा कि जिले में बनने वाले दिव्यांग प्रमाण पत्रों के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे जा रहे हैं, ऑनलाइन आवेदन करने के बाद सोमवार को आवेदनकर्ताओं के मेडिकल किए जाते हैं. उसके बाद संतुष्ट होने पर ही विकलांग प्रमाण पत्र जारी किया जाता है. उन्होंने बताया कि अभी तक लगभग 1900 फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्रों को जांच के बाद विभाग द्वारा निरस्त किया जा चुका है. इस मामले में दोषियों पर कार्रवाई भी की जा सकती है. 

 

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