Pratapgarh News: यूपी के प्रतापगढ़ (Pratapgarh) में शिक्षकों के लिए बेसिक शिक्षा विभाग (Basic Education Department) के नए फरमान से हड़कंप मच गया है. यहां पर अब शिक्षकों को बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ टीबी के मरीजों को भी गोद लेना होगा. इन मरीजों को गोद लेने के बाद ये शिक्षक उनकी दवा को प्रॉपर तरीके से खिलाने की जिम्मेदारी निभाएंगे. उन्हें जागरुक करेंगे और तो और जरूरत पड़ने पर उनकी डॉक्टरों से बात करवाकर इलाज में उचित सलाह भी उपलब्ध कराएंगे. बीएसए ने इस बाबत खण्ड शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी कर दिया है.


टीबी के मरीजों को गोद लेंगे शिक्षक
शैक्षणिक सत्र को चार माह बीतने के बाद भी बच्चों को किताबें मुहैय्या कराने में सरकार फेल साबित हो चुकी है, लेकिन अब बीएसए के नए फरमान से बच्चों की पढ़ाई पर एक और गाज गिर गई है. ये नया फरमान है शिक्षकों को अब टीबी के मरीजों को गोद लेकर उन्हें टीबी रोग से लड़ने के लिए मदद करने, दवा खिलाने, उनकी निगरानी करने व जागरूक करते रहने की जिम्मेदारी भी निभानी होगी. यही नहीं जरूरत पड़ने पर डॉक्टर से बात कर उनके इलाज में उचित सलाह भी उपलब्ध करानी होगी. 


जानिए क्या कहता है नियम


बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने सिविल अपील वाद संख्या 5659 वर्ष 2007 में आदेश को पारित किया गया है कि शिक्षकों से शैक्षणिक दिवस एवं शैक्षणिक समय में गैर शैक्षणिक कार्य न कराया जाए. उक्त आदेश के क्रम में शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव ने भी राज्य के सभी जिला स्तर के विभागीय अधिकारियों को आदेश जारी कर शिक्षकों से किसी भी कीमत पर शैक्षणिक अवधि में गैर शैक्षणिक कार्य नहीं लिए जाने का आदेश जारी किया था. बावजूद इसके काफी संख्या में शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यो के लिए प्रतिनियोजन विभागीय अधिकारियों ने लगा रखा है. शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 में भी शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य लेने की रोक लगाई गई है.


बेसिक शिक्षा विभाग ने बताई आदेश की वजह
इस बाबत बेसिक शिक्षा अधिकारी भूपेन्द्र सिंह ने बताया कि डीएम डॉ. नितिन बंसल ने टीबी उन्मूलन के सम्बंध में एक समीक्षा बैठक की थी बैठक में आदेश दिए गए थे कि टीबी मरीजों को अब शिक्षक गोद लेंगे, इसी क्रम में सीएमओ ने भी पत्र जारी किया था,जिसके बाद विभाग की ओर से ये आदेश जारी कर सभी शिक्षकों की सूची बनाने का निर्देश दिया गया है, सूची तैयार होते ही जिला क्षय रोग अधिकारी को उपलब्ध करा दी जाएगी.


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मरीजों को देखेंगे तो पढ़ाएंगे कैसे?


बता दें कि जिले में 2300 विद्यालय है, जहां तकरीबन 10 हजार शिक्षकों की तैनाती है तो वहीं जिले में टीबी मरीजों की संख्या लगभग 2,995 है. बड़ा सवाल की WHO की तरफ से टीबी रोग के खिलाफ जिला स्तर से लेकर ब्लाक स्तर पर RNTC अभियान के तहत संविदा पर कर्मियों की तैनाती की गई थी और सभी को इस काम को गतिशील बनाने के लिए बाइक भी उपलब्ध कराई गई थी लेकिन ये योजना परवान नहीं चढ़ सकी थी. ऐसे में अगर शिक्षक टीबी के मरीजों को समय देंगे, तो बच्चों की पढ़ाई का क्या होगा. 


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