Prayagraj: संगम पर घुटने भर भी नहीं बचा गंगा का पानी, बैठकर भी नहीं लग पा रही है आस्था की डुबकी
Prayagraj Ganga River: भीषण गर्मी की वजह से संगम नगरी प्रयागराज में गंगा की धारा कई जगहों पर सिमटती जा रही है. पानी की धारा अब इतनी कम हो गई है लोगों का डुबकी लगाना भी मुश्किल है.
Prayagraj News: उत्तर भारत में इन दिनों जबर्दस्त गर्मी पड़ रही है. आसमान से बरस रही आग और उमस भरी गर्मी से सिर्फ इंसान ही बेहाल नहीं हैं, बल्कि इसका असर जीवनदायिनी और मोक्षदायिनी कही जाने वाली नदी गंगा (Ganga River) पर भी पड़ रहा है. भीषण गर्मी की वजह से संगम नगरी प्रयागराज (Prayagraj) में गंगा की धारा कई जगहों पर सिर्फ पचास मीटर में सिमटकर नहर जैसी हो गई है. इस सिमटी हुई धारा के बीच भी जगह-जगह रेत के टीले उभर आए हैं. संगम के नजदीक तो गंगा का पानी इतना कम हो गया है कि वहां घुटने भर पानी भी नहीं बचा है. गंगा का जलस्तर कम होने से लोग यहां आस्था की डुबकी भी नहीं लगा पा रहे हैं.
प्रयागराज में कम हो रही है गंगा की धारा
धर्म की नगरी प्रयागराज में रोजाना हजारों की संख्या में श्रद्धालु गंगा में आस्था की डुबकी लगाने व पूजा-अर्चना करने के लिए आते हैं. धर्मग्रंथों में प्रयागराज के संगम को मोक्ष की जगह बताया गया है. मान्यता है कि त्रिवेणी की धारा में आस्था की डुबकी लगाने से जन्म-जन्मांतर के पाप धुल जाते हैं और व्यक्ति को मोक्ष यानी जीवन-मरण के बंधन से मुक्ति मिल जाती है. लेकिन इस बार भीषण गर्म की वजह से गंगा की धारा सूखती जा रही है. संगम पर जहां गंगा और यमुना का मिलने होता है उसके आसपास तो गंगा की धारा खत्म सी हो गई है. तकरीबन दो किलोमीटर चौड़ा पाट कहीं-कहीं पर सिर्फ पचास मीटर तक सिमटा दिखाई दे रहा है. गंगी नदी में घुटनों तक पानी भी नहीं बचा है.
श्रद्धालुओं का डुबकी लगाना भी मुश्किल
संगम पर पानी इतना कम हो गया है कि लोग डुबकी भी नहीं लगा पा रहे हैं. ऐसे में कुछ लोग लोटे से तो कुछ लोग बैठकर खुद गंगाजल में भिगोने की कोशिश कर कर रहे हैं. कई श्रद्धालु तो पानी न होने की वजह से बिना डुबकी लगाए ही सिर्फ आचमन करने के बाद मायूस होकर वापस चले जाते हैं. श्रद्धालु गंगा की इस हालत से खासे दुखी हैं. उनका कहना है कि अरबों रुपये खर्च करने के बावजूद जीवनदायिनी व मोक्षदायिनी गंगा की ये हालत तकलीफ देने वाली है.
गर्मियों में सूखी गंगा की धारा
जानकारों का कहना है कि हर साल गर्मियों में गंगा समेत दूसरी नदियों का पानी सूख जाता है और जलस्तर काफी कम हो जाता है. लेकिन इस बार हालत कुछ ज्यादा ही खराब हो गई है. इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के भूगोल विभाग के पूर्व एचओडी और मौसम वैज्ञानिक प्रोफेसर एच. एन. मिश्रा के मुताबिक इस बार गर्मी मार्च महीने के पहले हफ्ते से ही शुरू हो गई थी. तापमान ने पिछले कई दशकों का रिकार्ड तोड़ दिया है. जिसकी वजह से ग्लेशियर के पानी ही नदियों तक पहुंच रहा है. इसके साथ ही जगह-जगह डैम बनाए जाने से भी गंगा में पानी काफी कम हो गया है. इसके अलावा कुछ लोकल वजहों से भी गंगा की धारा सिमट गई है.
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जानिए क्या कहते हैं जानकार?
जानकारों का कहना है कि इससे गंगा के अस्तित्व पर कोई खतरा नहीं होने वाला है, क्योंकि अगले कुछ हफ़्तों में बारिश शुरू होते ही गंगा की धारा फिर से बढ़ने लगेगी. गंगा की धारा सिमटने का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि गर्मियों के मौसम में हर साल संगम के नज़दीक गंगा का जलस्तर औसतन करीब नौ हज़ार क्यूसेक रहता था, लेकिन इस बार यह सिर्फ दो हज़ार क्यूसेक के आस पास ही है. प्रयागराज में महज तीन महीने पहले ख़त्म हुए माघ मेले में गंगा ने लाखों -करोड़ों श्रद्धालुओं के डुबकी लगाई थी, लेकिन इन दिनों गंगा खुद के अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है.
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