(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Allahabad University: फीस में चार गुना बढ़ोतरी के खिलाफ छात्रों का आंदोलन तेज, यूनिवर्सिटी प्रशासन को दी ये चेतावनी
Prayagraj News: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में फीस बढ़ोतरी के खिलाफ छात्र आंदोलन कर रहे है. छात्रों में चार सौ फीसदी से ज़्यादा फीस बढ़ोत्तरी से नाराजगी है. वहीं यूनिवर्सिटी अलग ही दलील दे रही है.
Prayagraj News: देश में सियासत की नर्सरी कही जाने वाली आक्सफोर्ड आफ द ईस्ट के नाम से मशहूर इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी (Allahabad Central University) में इन दिनों कोहराम मचा हुआ है. यहां के छात्र पिछले पंद्रह दिनों से आंदोलन की राह पर हैं. कैम्पस से सड़क तक और सोशल मीडिया से सियासी गलियारों तक यूनिवर्सिटी में चल रहे आंदोलन का मुद्दा छाया हुआ है. यूनिवर्सिटी का हर इंट्री प्वाइंट पुलिस छावनी में तब्दील है. ये हंगामा 31 अगस्त को यूनिवर्सिटी लिए गए एक फैसले की वजह से हो रहा है. जिसमें छात्रों से ली जाने वाली फीस में चार गुना से ज़्यादा तक की बढ़ोत्तरी का फैसला लिया गया है. अचानक चार सौ फीसदी से ज़्यादा की बढ़ोत्तरी किए जाने से छात्रों में भारी नाराजगी है.
फीस बढ़ोतरी के खिलाफ छात्रों का आंदोलन तेज
छात्रों ने करीब दस दिनों तक फीस बढ़ोत्तरी वापस लिए जाने या कम करने की मांग की लेकिन जब उनकी बात नहीं सुनी गई तो इन्होंने आंदोलन की राह पकड़ ली है. छात्र कहीं मशाल जुलूस निकाल रहे हैं तो कहीं प्रदर्शन कर रहे हैं. आमरण अनशन पर बैठे पांच छात्रों को तबीयत बिगड़ने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया है. छात्रों का समूह कभी भीख मांगकर फीस के लिए चंदा जुटा रहा है तो कहीं यूनिवर्सिटी प्रशासन की बुद्धि शुद्धि के लिए यज्ञ किया जा रहा है. छात्रों के इस आंदोलन में तमाम सियासी पार्टियां भी कूद पडी हैं. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और आम आदमी पार्टी तक इस मुद्दे पर ट्वीट कर समर्थन जाहिर कर रहे हैं. तो वहीं बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने भी इसे दुखद बताया.
यूनिवर्सिटी की ओर से दी गई ये दलील
छात्रों का आंदोलन तेज होता देख यूनिवर्सिटी प्रशासन भी बैकफुट पर है और अपने बचाव में तमाम दलीलें दे रहा है. यूनिवर्सिटी का कहना है कि मौजूदा समय में पढ़ाई कर रहे छात्रों से वही ट्यूशन फीस ली जा रही है, जो 1922 यानी सौ साल पहले ली जाती थी. ट्यूशन फीस में बढ़ोत्तरी पूरे सौ साल बाद की गई है. यहां के छात्र अब भी रोज़ाना तकरीबन दस रुपये खर्च कर ट्रेडिशनल कोर्सेज की पढ़ाई साल भर कर सकते हैं. यूनिवर्सिटी की दलील है कि मौजूदा समय में पढ़ाई कर रहे तकरीबन छत्तीस हज़ार छात्रों पर बढ़ी फीस का कोई असर नहीं पड़ेगा. नए सेशन से ही बढ़ी हुई फीस ली जाएगी. वहीं यूनिवर्सिटी ने दूसरी सेंट्रल युनिवर्सिटीज की फीस से तुलना करते हुए इस सबसे कम फीस बताया है. फीस बढ़ोत्तरी सिर्फ यहीं नहीं, बल्कि सभी सेंट्रल यूनिवर्सिटीज में यूजीसी के निर्देश पर की जा रही है.
छात्रों ने इस बात पर जताया है विरोध
दावा ये भी किया जा रहा है कि अगर कुछ छात्रों को आर्थिक वजहों से बढ़ी हुई फीस देने में वास्तव में दिक्कत है तो जांच के बाद किसी योजना के माध्यम से उसकी मदद की जाएगी. दूसरी तरफ छात्रों का कहना है कि इस सेंट्रल युनिवर्सिटी में आम तौर पर किसान व कम आय वर्ग के परिवारों के बच्चे ही पढ़ाई करने के लिए आते हैं. फीस में एक साथ चार गुना की बढ़ोत्तरी कतई जायज़ नहीं है. अगर यूनिवर्सिटी के सामने कोई आर्थिक दिक्कत है तो उसे अपने गैर ज़रूरी खर्चों में कटौती करनी चाहिए. पूरी वसूली छात्रों से करना ठीक नहीं है.
अगर यूनिवर्सिटी को फीस बढ़ानी ही थी तो थोड़ी बहुत बढ़ाई जा सकती थी. चार गुना फीस बढ़ोत्तरी का फैसला उन्हें किसी भी कीमत पर मंजूर नहीं होगा. छात्रों के एक वर्ग ने धमकी दी है कि अभी तो वह गांधीवादी तरीके से आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन अगर यूनिवर्सिटी प्रशासन ने अपना फैसला नहीं बदला तो वह उग्र आंदोलन के लिए भी मजबूर होंगे. हालात बिगड़ने पर सारी ज़िम्मेदारी यूनिवर्सिटी प्रशासन की होगी.
सौ साल बाद बढ़ाई गई यूनिवर्सिटी की फीस
वैसे ये कोई पहला मौका नहीं है, जब पिछले सौ सालों में यहां की फीस बढ़ाने का फैसला किया गया है. हालांकि पिछले सभी मौकों पर छात्रों के आंदोलन और सियासी दखल के चलते यूनिवर्सिटी को अपना फैसला वापस लेना पड़ता था. यहां सबसे ज़्यादा स्टूडेंट ग्रेजुएशन की पढ़ाई करते हैं. अभी तक उनसे ट्यूशन फीस हर महीने बारह रुपये ली जाती थी. साल में ट्यूशन फीस के तौर पर बीए- बीएससी और बीकॉम के स्टूडेंट्स से 144 रुपये लिए जाते थे. ट्यूशन फीस के साथ ही कई दूसरे मदों जैसे परीक्षा शुल्क, बिल्डिंग मेंटेनेंस, पुअर ब्वायज़ फंड, स्पोर्ट्स, लाइब्रेरी, आई कार्ड, मार्कशीट के शुल्क मिलाकर सालाना कुल 975 रुपये लिए जाते थे.
नए फैसले के बाद कितनी बढ़ी फीस
प्रैक्टिकल के लिए लैब की फीस 145 रुपये अलग से देनी होती थी. फीस बढ़ोतरी के बाद ग्रेजुएशन के छात्रों को अब 975 रूपये के बदले सालाना 3901 रूपये देने होंगे. प्रैक्टिकल फीस को 145 से बढ़ाकर 250 रुपये कर दिया गया है. इसी तरह एमएससी की फीस 1561 रुपये से बढ़ाकर 4901 कर दी गई है. एमएससी की फीस 1861 से बढ़कर 5401, एमकॉम की 1561 से बढ़कर 4901, तीन साल के एलएलबी की फीस 1275 से 4651, एलएलएम की फीस 1561 से बढ़कर 4901 और पीएचडी की सालाना फीस 501 से बढ़ाकर 15300 रुपये सालाना हो जाएगी. पीएचडी की फीस करीब तीस गुना तक बढ़ जाएगी.
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