Prayagraj News: यूपी विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) का मंच शेयर करने और भाषण में पीएम मोदी (PM Modi) व सीएम योगी (CM Yogi) के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी किये जाने के आरोप में प्राइमरी स्कूल (Primary School) में पढ़ाने वाले एक टीचर को बर्खास्त कर दिया गया है. बर्खास्त किये गए टीचर को विधानसभा चुनाव (Assembly Election) ख़त्म होते ही सस्पेंड कर दिया गया था. निलंबन के तीन महीने बाद ही उसे अब बर्खास्त कर दिया गया है. निलंबित शिक्षक इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी (Allahabad University) के छात्र संघ का पहला अध्यक्ष रह चुका है. अजीत यादव का आरोप है कि उसे सिर्फ यादव जाति का होने की वजह से मनमाने तरीके से बर्खास्त किया गया है.

 

प्राइमरी स्कूल का शिक्षक बर्खास्त

बर्खास्त शिक्षक अजीत यादव ने कहा कि उस पर सपा का मंच शेयर करने और पीएम, सीएम के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी के आरोप गलत लगाए गए हैं. अजीत यादव अपनी बर्खास्तगी के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती देने की तैयारी में है. उसका दावा है कि हाईकोर्ट से उसे इंसाफ ज़रूर मिलेगा. अजीत का ये भी कहना है कि छात्र जीवन में वह राजनीति में ज़रूर रहा है. इलाहाबाद यूनिवर्सिटी छात्र संघ में अध्यक्ष व उपमंत्री भी रहा है, लेकिन टीचर बनने के बाद वो एक सरकारी कर्मचारी होने का कर्तव्य निभा रहा था. 

 

बसपा और सपा से जुड़ा रहा है शिक्षक

दरअसल, अजीत यादव छात्र जीवन में बीएसपी से जुड़ा हुआ था. बीएसपी में रहते हुए ही वो साल 2005 में इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ का पहला अध्यक्ष चुना गया था. बाद में समाजवादी पार्टी से जुड़ गया था. इस बीच उसका सेलेक्शन यूपी में बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित प्राइमरी स्कूलों के टीचर के तौर पर हो गया था. मूल रूप से आजमगढ़ का रहने वाला अजीत प्रयागराज के गंगापार इलाके के सरांय ख्वाजा के कम्पोजिट स्कूल में प्राइमरी टीचर था.


पीएम और सीएम पर टिप्पणी का आरोप

यूपी में फरवरी-मार्च महीने में हुए विधानसभा चुनाव में ये आरोप लगा कि अजीत यादव ने सपा की चुनावी सभा में न सिर्फ हिस्सा लिया है, बल्कि मंच से भाषण करते हुए पीएम मोदी व सीएम योगी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी भी की है. इसी आरोप में उसे पहले निलंबित किया गया और नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया. दूसरी तरफ अजीत ने सफाई दी है कि वो सपा से प्रभावित ज़रूर है, लेकिन सपा का सदस्य नहीं है.

 

अजीत ने दावा किया कि सरकार के पास उसकी भाषणबाजी का कोई सबूत नहीं है. मनमाने तरीके से उसे निशाना बनाया गया है. अजीत के मुताबिक़ वह यादव जाति का है, इसीलिये उसकी नौकरी छीनी गई है. मौजूदा सरकार में यादवों को आसान चारा समझकर उनका उत्पीड़न किया जा रहा है. 

 

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