UP News: जन सूचना अधिकारी ने सूचना देने में की देरी, आयोग ने दे दी यह अनोखी सजा
Lucknow: उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग ने गाजीपुर जिले में तैनात एक जन सूचना अधिकारी को अनूठी सजा सुनायी है. सजा में एक प्राथमिक विद्यालय में 250 बच्चों को भोजन कराने के निर्देश दिए गए हैं.
Lucknow News: उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग ने गाजीपुर जिले में तैनात एक जन सूचना अधिकारी को सूचना देने में देर करने पर अनूठी सजा सुनायी है. अधिकारी को 'सांकेतिक दण्ड' के तौर पर जिले के एक प्राथमिक विद्यालय में 250 बच्चों को भोजन कराने के निर्देश दिए गए हैं. राज्य सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती ने सोमवार को भूपेन्द्र कुमार पाण्डेय द्वारा सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत दाखिल अर्जी पर सुनवाई करते हुए गाजीपुर के नूनरा गांव के विकास अधिकारी और जन सूचना अधिकारी चंद्रिका प्रसाद को गांव के ही प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाले 250 बच्चों को एक वक्त भोजन कराने के निर्देश दिये हैं.
बच्चो को भोजन कराने का दिया गया निर्देश
सूचना आयुक्त ने सुनवाई के दौरान पाया कि याचिकाकर्ता को सूचना देने में जन सूचना अधिकारी ने विलंब किया. अधिकारी को निर्देश दिये गये हैं कि वह आगामी 29 अप्रैल को मध्याह्न भोजन के समय में बच्चों को भोजन कराएं. साथ ही उसकी वीडियो रिकॉर्डिंग करके आयोग को भी भेजने को कहा गया है. आरटीआई याचिकाकर्ता ने वर्ष 2016 में याचिका के जरिये नूनरा गांव में कराए गए विकास कार्यों और उसके एवज में चुकाए गए धन के बारे में सूचना मांगी थी.
भोजन का खर्च नहीं होना चाहिए 25 हजार से अधिक
मामले की सुनवाई के दौरान सूचना आयुक्त ने पाया कि जन सूचना अधिकारी चंद्रिका प्रसाद ने सूचना देने में जानबूझकर देर नहीं की, बल्कि कुछ अपरिहार्य कार्यक्रमों की वजह से ऐसा हुआ, लिहाजा उन्हें एक सांकेतिक दण्ड दिया गया है. उप्रेती ने यह भी आदेश दिया कि इस भोजन का खर्च 25 हजार रुपये से ज्यादा नहीं होना चाहिए. सूचना आयुक्त ने 'पीटीआई-भाषा' को बताया कि आमतौर पर सूचना देने में देर करने पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाता है. सूचना का अधिकार कानून के तहत जन सूचना अधिकारियों को अधिकतम 30 दिन के अंदर सूचना उपलब्ध कराना जरूरी है. अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है.
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