Prayagraj News: पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती (Swami Nischalananda Saraswati) ने भी यूपी में मदरसों का सर्वे (Madrasa Survey) कराए जाने के योगी सरकार (Yogi Adityanath) के फैसले का खुलकर समर्थन किया है. शंकराचार्य का कहना है कि अगर मदरसों पर आतंकवाद को बढ़ावा देने के गंभीर आरोप लग रहे हैं तो इसकी जांच कराने में कतई कोई बुराई नहीं है. हकीकत को सामने लाने के लिए जांच बेहद जरूरी है. शंकराचार्य निश्चलानंद के मुताबिक मदरसों के साथ ही अगर कोई भी मठ-मंदिर या मस्जिद (Masjid) किसी भी धार्मिक स्थल को लेकर कोई गंभीर आरोप लग रहे हैं, तो जांच के बाद उस कमी को दूर करना बेहद जरूरी हो जाता है.
मदरसों के सर्वें पर शंकराचार्य ने कही ये बात
शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि मदरसों को लेकर सर्वे का फैसला इसलिए भी गलत नहीं है, क्योंकि कई जगह चौंकाने वाले मामले सामने आए हैं. उन्होंने इशारों में कहा कि मदरसों में क्या कुछ होता है यह सभी को पता है. उन्होंने इशारों में कहा कि मदरसे आतंकवाद का अड्डा बनते जा रहे हैं. असम के हालात से सबक लिया जा सकता है. वहां के मुख्यमंत्री ने हालात गंभीर होने के बाद ही कई कड़े फैसले लिए. वैसे भी अगर किसी संस्था का उपयोग एक तंत्र विशेष को दबाने और आतंकवाद का प्रशिक्षण देने के लिए किया जाता है तो उसे आतंकवाद का केंद्र कहा जाना कतई गलत नहीं होगा.
ज्ञानवापी विवाद पर आए अदालती फैसले क्या बोले?
वाराणसी के ज्ञानवापी विवाद से जुड़े मुकदमे की सुनवाई को लेकर हिंदू पक्ष को मिली अदालती जीत पर प्रतिक्रिया देते हुए शंकराचार्य निश्चलानंद ने कहा कि अगर सैकड़ों साल पहले छल कपट या जोर जबरदस्ती से किसी धार्मिक स्थल की तस्वीर जानबूझकर बदल दी जाती है तो संवाद के जरिए या फिर कानूनी अधिकार के जरिए इसे दोबारा वापस हासिल किया जा सकता है. इसमें कुछ भी गलत नहीं है. अदालतें भी तथ्यों के आधार पर ही फैसला देती हैं. खासकर धार्मिक आस्था के बड़े केंद्रों को तो उनके मूल स्वरूप में वापस होना ही चाहिए.
नरसिम्हा राव सरकार पर लगाए गंभीर आरोप
शंकराचार्य ने 30 साल पहले केंद्र की तत्कालीन नरसिम्हा राव सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उस वक्त सत्ता में जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों ने उन पर अयोध्या के विवादित स्थल पर मंदिर के साथ ही आसपास की जगहों पर मस्जिद बनाए जाने का समझौता करने का दबाव बनाया था. उन्हें डराया धमकाया गया था और उनका अपहरण कराने की साजिश भी रची गई थी, लेकिन वह डरे नहीं और इस समझौते को नहीं माना. अगर वह रामालय ट्रस्ट के जरिए उस वक्त समझौते को मान जाते तो आज अयोध्या में ना तो मंदिर का निर्माण हो रहा होता और ना ही विवादित मस्जिद 30 किलोमीटर दूर बन रही होती.
शंकराचार्य निश्चलानंद के मुताबिक मौजूदा समय में देश में जो हालात हैं उसमें गुरुकुल की शिक्षा दिया जाना बेहद जरूरी हो गया है, क्योंकि संस्कार हीन शिक्षा का कोई मतलब नहीं है. शंकराचार्य निश्चलानंद इन दिनों संगम नगरी प्रयागराज आए हुए हैं. यहां अपने अनुयायियों से मुलाकात के दौरान उन्होंने कई विषयों पर खुलकर अपने विचार रखे.
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