Ujbekistan commonwealth weightlifting championship: एक बहुत ही मशहूर कहावत है- "जहां चाह है वहीं राह है". इस कहावत को चरितार्थ किया है वाराणसी की दो बेटियों ने. जहां  उज्बेकिस्तान में हो रहे कॉमनवेल्थ वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में पूर्णिमा पाण्डेय ने स्वर्ण पदक जीता तो वहीं पूनम यादव ने रजत पदक पर कब्ज़ा किया है. इस जीत के साथ जहां पूर्णिमा पाण्डेय ने 2022 में बर्मिंघम में होने वाले कॉमनवेल्थ गेम का टिकट हासिल कर लिया है जबकि कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए टिकट पाने का रास्ता आसान कर लिया.


तीन साल बाद बनारस के किसी खिलाड़ी ने कॉमनवेल्थ गेम के लिए टिकटहासिल किया है. इससे पहले 2018 में स्वाती सिंह, पूनम यादव कॉमनवेल्थ गेम्स में हिस्सा ले चुकी हैं. 


पूर्णिमा ने ऐसे किया स्वर्ण पदक पर कब्ज़ा 
भारोत्तोलक पूर्णिमा पांडे पूर्णिमा ने कुल 229 किग्रा (102 किग्रा और 127 किग्रा) भार उठाकर पहला स्थान हासिल करने के साथ अगले साल होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों के लिए सीधे क्वालीफाई करने में सफलता हासिल की. उन्होंने इस बीच कुल आठ राष्ट्रीय रिकार्ड बनाए. इनमें से स्नैच में दो तथा क्लीन एवं जर्क तथा कुल भार वर्ग में तीन-तीन राष्ट्रीय रिकार्ड शामिल हैं. इससे पहले दो बार कॉमनवेल्थ वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में रजत और कांस्य जीत चुकी हैं. पूर्णिमा ने बताया कि सीनियर वर्ग में उनका यह पहला स्वर्ण पदक है. उनकी इस ऐतिहासिक जीत से उनके पैतृक निअव्स पर जश्न का माहौल है.


पूनम यादव ने भी रजत पदक पर जमाया कब्जा
वाराणसी के दादूपुर गांव  की रहने वाली पूनम यादव ने भी कॉमनवेल्थ वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में रजत पदक पर कब्जा जमाया है. इसके साथ ही पूनम ने विश्व वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में सातवां स्थान हासिल कर बर्मिंघम 2022 में होने वाली कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए टिकट पाने का रास्ता आसान कर लिया. इससे पहले पूनम राष्ट्रीय खेलों में पूर्वोत्तर रेलवे की भाग लेते हुए 76 किलो भार वर्ग में 220 किलो भार उठाकर पदक जीता था. जबकि 2018 के कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं. वर्तमान में पूनम पूर्वोत्तर रेलवे वाराणसी मंडल में टिकट निरीक्षक के पद पर तैनात हैं


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