UP News: रायबरेली के जिला अस्पताल में लगभग तीन सप्ताह पहले पूर्व CMS का तबादला हो चुका है. उसके बावजूद भी वह अपने सरकारी आवास को छोड़ने का मोह नहीं त्याग पा रही हैं. नए सीएमएस अपने जॉइनिंग के बाद से ही होटल में रहने के लिए मजबूर हैं .होटल में रहने के कारण कहीं न कहीं अस्पताल की प्रशासनिक व्यवस्थाएं भी सुचारू रूप से नहीं चल पा रही हैं. सीएमएस द्वारा कई पत्र लिखे जाने के बाद भी जब आवास खाली नहीं हुआ तो बीते मंगलवार को एक पत्र जारी किया गया जिसमें ताला तोड़कर कब्जा किया हुआ मकान खाली कराए जाने की बात कही गई है. जिसके बाद पूर्व सीएमएस नीली बत्ती लगी हुई कार से अपने आवास पहुंची. मामला जिला अस्पताल रायबरेली का है.
सीएमएस पर लगा था भ्रष्टाचार का आरोप
रायबरेली जिला अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षिका पर जांच के बाद भ्रष्टाचार का आरोप लगा था. जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों द्वारा इनका तबादला वरिष्ठ परामर्शदाता प्रयागराज के लिए कर दिया गया और डॉ महेंद्र मौर्या को रायबरेली जिला अस्पताल का नया मुख्य चिकित्सा अधीक्षक बनाया गया. तबादले के बाद भी अपनी सीट पर जमी पूर्व मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ नीता साहू ने अस्पताल में जंग छेड़ दी और बीते दो जुलाई को ज्वाइन करने पहुंचे महेंद्र मौर्या को चार्ज तक नहीं दिया. उच्चाधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद किसी तरह पूर्व सीएमएस नीता साहू ने चार्ज तो दे दिया लेकिन सरकारी बंगले पर अपना कब्जा जमाए रखी. सीएमएस महेंद्र मौर्या ने खाली करने के लिए दो पत्र भी लिखा. उच्च अधिकारियों को भी भेजा गया उसके बावजूद पूर्व सीएमएस नीता साहू ने सरकारी आवास नहीं छोड़ा. बीते मंगलवार को नीता साहू को एक पत्र और दिया गया जिसमें आवास ना खाली करने की दशा में एक गठित कमेटी के सामने ताला तोड़कर कब्जा किया हुआ आवास खाली कराया जाएगा.
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प्रयागराज सरकारी अस्पताल में भेजा गया
पूर्व सीएमएस डॉ नीता साहू अस्पताल ज्वाइन करते ही विवादों के घेरे में गिर चुकी थी. जिस कार से वह रायबरेली पहुंची थीं उसमें बीजेपी का झंडा और स्टीकर लगा हुआ था. किसी तरह मामला शांत हुआ लेकिन उसके बाद पूर्व सीएमएस की तानाशाही अस्पताल में भी दिखने लगी और दवाओं के साथ अन्य चीजों की खरीद-फरोख्त में अनियमितता पाए जाने के बाद उसकी जांच हुई. जिसमें वह दोषी पाई गई. दोषी पाए जाने के बाद पूर्व सीएमएस डॉ नीता साहू को रायबरेली सीएमएस से हटाकर वरिष्ठ परामर्शदाता प्रयागराज सरकारी अस्पताल भेज दिया गया लेकिन स्थानांतरण के बाद भी डॉक्टर नीता साहू की दबंगई चरम पर थी. नवागंतुक सीएमएस महेंद्र मौर्य के चार्ज लेने के बाद भी वह अपने सरकारी आवास को छोड़ नहीं रही थी जबकि कई पत्र उनको छोड़ने के लिए दिया गया था. फिलहाल अंतिम अल्टीमेटम देकर एक पत्र और उनको दिया गया है.
क्या कहा मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. महेन्द्र मौर्य ने?
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. महेन्द्र मौर्य का कहना है कि मेरे ज्वाइन करने के बाद भी पूर्व सीएमएस डॉ नीता साहू द्वारा सरकारी मकान नहीं खाली किया गया. जिसकी वजह से मुझे होटल में रुकना पड़ रहा है. होटल में रुकने से जिला अस्पताल की सभी प्रशासनिक सेवाएं और कार्य सुचारू रूप से संचालित नहीं हो पा रही हैं. इसके लिए उन्हें दो बार पत्र पहले दिया जा चुका है. तीसरी बार पत्र बीते मंगलवार को दिया गया है. जिसमें साफ कहा गया है कि अगर खाली नहीं किया गया तो एक कमेटी बनाया जाएगा जिसमें मजिस्ट्रेट भी होंगे. मकान का ताला तोड़कर कब्जा मुक्त कराया जाएगा. उम्मीद है कि जल्द से जल्द सरकारी बंगला खाली होगा.
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