Raebareli News: रायबरेली में जान हथेली पर रखकर लकड़ी का पुल पार करने को मजबूर लोग, मोरबी हादसे के बाद भी नहीं टूटी नींद
UP News: लकड़ी के इस पुल से गुजरते हुए कई बार बड़े हादसे भी हो चुके हैं. जिसमें कई लोगों को गंभीर चोटें भी आ चुकी हैं. छोटे-छोटे बच्चे भी जान जोखिम में डालकर लकड़ी के इस पुल को बार करते हैं.
Raebareli News: गुजरात (Gujrat) के मोरबी (Morbi) जिले में हुए हादसे के बाद उत्तर प्रदेश सरकार (UP Government) एक्शन मोड में आ गई है. यूपी सरकार ने प्रदेश के सभी जर्जर पुल की जांच कराने के निर्देश दिए हैं. वहीं रायबरेली (Raebareli) में सदर विधानसभा क्षेत्र के रामपुर बघेल के पास बना लकड़ी का पुल लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है. बच्चे, बुजुर्ग और नौजवान सभी जान हथेली पर रखकर यहां से गुजरने को मजबूर हैं. ग्रामीणों ने कई बार यहां पक्का पुल बनाने की मांग की लेकिन कोई उनकी सुनने को तैयार नहीं. प्रशासन शायद किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है.
मोरबी हादसे के बाद भी नहीं जागा प्रशासन
सदर विधानसभा क्षेत्र के रामपुर बघेल गांव के पास से महाराजगंज ड्रेन गुजरता है जो सीधे रामपुर बघेल सहित एक दर्जन गांवों को राही से जोड़ता है लेकिन यहां पर पक्के पुल का निर्माण ना होने की वजह से ग्रामीणों को लगभग 10-15 किमी दूर का सफर तय करना पड़ता है. इसी को देखते हुए ग्रामीणों ने ड्रेन पर लकड़ी द्वारा पुल का निर्माण किया. इसी पुल से पैदल व दो पहिया वाहन से लोग गुजरते हैं. जिस तरह जान हथेली पर रखकर लोग लकड़ी के जर्जर पुल से गुजरते हैं वो निश्चित तौर पर दिल को झकझोरने वाला है.
इस पुल से गुजरते हुए कई बार बड़े हादसे भी हो चुके हैं. जिसमें कई लोगों को गंभीर चोटें भी आ चुकी हैं. छोटे-छोटे बच्चे भी जान जोखिम में डालकर लकड़ी के इस पुल को बार करते हैं. स्कूल जाते समय कई बार बच्चे भी हादसे का शिकार हो चुके हैं लेकिन किसी भी जनप्रतिनिधि या अधिकारी का ध्यान इस ओर नहीं गया. कई बार ग्रामीणों ने पक्का पुल निर्माण की मांग की लेकिन हर पर इससे पल्ला झाड़ लिया जाता है या फिर देखने की बात कहकर मुद्दे को टाल दिया जाता है.
जान जोखिम में डालकर पुल पार करने को मजबूर लोग
छोटे-छोटे बच्चे भी जान जोखिम में डालकर लकड़ी के पुल को पार करते हैं. बच्चों का कहना है कि उन्हें पुल पार करने में बहुत डर लगता है लेकिन स्कूल जाना भी जरुरी है. एक बार तो एक स्कूली बच्चा पुल पार करते समय नीचे नहर में गिर भी गया था जिसे गांव वालों ने बाहर निकाला. बच्चों को जान जोखिम में डालकर स्कूल आना-जाना पड़ता है. बुजुर्गों को इस पुल को पार करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. ग्रामीण हर साल लकड़ी का पुल बनाते हैं जो बरसात में बहकर नष्ट हो जाता है. बरसात के बाद इसे फिर बनाया जाता है. दशकों से यही प्रक्रिया चली आ रही है.
गुजरात के मोरबी में हुए भयानक हादसे के बाद प्रदेश सरकार ने सभी जर्जर पुलों के मानकों की जांच के निर्देश दिए है लेकिन रायबरेली जनपद के जिम्मेदार अधिकारी कुंभकर्णी नींद में सो रहे हैं. शहर से महज दस किलोमीटर की दूरी पर लकड़ी से बने जानलेवा पुल की तरफ किसी का ध्यान नहीं है. ग्रामीणों का कहना है कि आजादी के बाद से अब तक इस पुल के निर्माण के लिए हर जगह मिन्नतें की गई है लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. ग्रामीण ही अपनी सुविधा के लिए बांस की लकड़ियों से इस पुल का निर्माण करते आ रहे हैं.
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