Imran Masood Joins BSP: सहारनपुर के कद्दावर मुस्लिम नेता इमरान मसूद (Imran Masood) ने समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) को छोड़कर बहुजन समाज पार्टी (Bahujan Samaj Party) का दामन थाम लिया है. विधानसभा चुनाव (Assembly Election) से पहले ही इमरान मसूद कांग्रेस (Congress) को छोड़कर समाजवादी पार्टी के साथ आ गए थे लेकिन फिर भी सपा (SP) से उन्हें विधानसभा चुनाव का टिकट नहीं मिल पाया था. जिसके बाद से इमरान मसूद काफी निराश थे. उन्होंने अपने समर्थकों के बीच ये तक कह दिया था कि 'मुझे कुत्ता बना दिया है.'
सपा छोड़ बसपा में शामिल हुए इमरान मसूद
इमरान मसूद ने जब कांग्रेस पार्टी की साथ छोड़ा था तो अपने हजारों समर्थकों के बुलाकर उन्होंने अपने घर पर सपा के साथ जाने के लिए सहमति ली थी. लेकिन इस बार जब वो बसपा के हाथी पर सवार हुए तो उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया. दशकों से हार का मुंह देख रहे इमरान मसूद इस बार जीत की आस में हाथी पर सवार हुए हैं. इसके पीछे इमरान मसूद को दलित प्लस मुस्लिम का गठजोड़ नजर आ रहा है, क्योंकि सहारनपुर लोकसभा में राजनीति में नया चेहरा होते हुए भी वर्तमान बसपा सांसद हाजी फजलुर्रहमान इसी गठजोड़ के बलबूते सांसद बने गए. इमरान मसूद के विपक्ष में रहने के बावजूद हाजी फजलुर्रहमान ने यहां से जीत हासिल की थी.
इमरान मसूद को राजनीति विरासत में मिली है. इमरान मसूद के पिता राशिद मसूद भी राजनीति में रहे हैं और उनके चाचा मरहूम रशीद मसूद लंबे समय तक सांसद रहे. प्रधानमंत्री वीपीसिंह के समय रशीद मसूद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री रहे थे. राजनीति का क ख ग इमरान मसूद ने अपने चाचा रशीद मसूद से ही सीखा है. पार्टी बदलने का दस्तूर इस परिवार में पहले से ही चलता रहा है. पहले जनता दल फिर आरएलडी उसके बाद समाजवादी पार्टी, सपा के बाद कांग्रेस और कांग्रेस के बाद फिर सपा और अब इमरान मसूद हाथी पर सवार हुए हैं.
दूसरे दलों में रहते हुए इमरान मसूद ने विरोधियों पर जमकर हमला बोला है. इमरान मसूद ने अब जिस बसपा का दामन थामा है. कभी उसी पार्टी को वो अटैची वालों की पार्टी कहा करते थे. राजनीति में आस्था बदलते देर नहीं लगती और आज यही बसपा इमरान मसूद को सबसे बेहतर नजर आ रही है.
इमरान मसूद को बसपा में मिली ये जिम्मेदारी
मायावती ने भी मुस्लिमों पर दांव खेलते हुए इमरान मसूद को पश्चिमी उत्तर प्रदेश का संयोजक नियुक्त किया है. मुस्लिम समुदाय पर इमरान मसूद की पकड़ की बात करें तो इस इलाके में हमेशा से ही उनका दबदबा रहा है. इमरान मसूद का बसपा में जाना कहीं ना कहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सपा को नुकसान पहुंचा सकता है.
इमरान मसूद एक बार नगरपालिका के चेयरमैन व एक बार बेहट विधानसभा से विधायक रह चुके हैं इसके बाद हमेशा उन्हें नंबर दो पर ही संतोष करना पड़ा है. इमरान मसूद के बारे में एक बात कहीं जाती है कि इमरान खुद भले ही खुद ना जीत पाते हो लेकिन जिसका ये साथ दे देते हैं उसकी जीत पक्की मानी जाती है. अब देखना यह है कि आने वाले नगर निगम व नगर पालिका के चुनाव और फिर लोकसभा चुनाव में इमरान मसूद बीजेपी और सपा को कितना नुकसान पहुंचा पाते हैं.