Shravasti News: श्रावस्ती के इस गांव में आज तक नहीं पहुंची 'सौभाग्य योजना की रोशनी', अंधेरे में जीने को मजबूर ग्रामीण
Shravasti: एक तरफ सरकार हर घर में बिजली देने का दावा कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ श्रावस्ती के ककरदरी गांव में आज तक बिजली नहीं पहुंची है. नेपाल सीमा से सटे होने पर भी यहां विकास कार्य नहीं हुआ है.
Shravasti News: देशभर में सौभाग्य योजना (Saubhagya Yojna) के तहत बिजली पहुंच गई है लेकिन यूपी के श्रावस्ती (Shravasti) में आज भी एक ऐसा गांव हैं जो अंधेरे में अपना समय बिता रहा है. न तो इस गांव में जाने के लिए सड़क है और न हीं यहां आज तक बिजली पहुंच पाई हैं. ये हाल तब है जब ये गांव नेपाल भारत सीमा (India-Nepal Border) पर बसा हुआ है. जहां पश्चिम दिशा में राप्ती नदी (Rapti River) का खतरा है और दूसरी तरफ भारत नेपाल की सीमा है. इसके बावजूद गांव में बॉर्डर डेवलपमेंट के तहत भी कोई काम नहीं हुआ है. ये गांव अपनी बेबसी पर आंसू बहा रहा है.
आजादी के इतने साल बाद भी नहीं पहुंची बिजली
एबीपी गंगा की टीम जब श्रावस्ती के भारत नेपाल सीमा पर बसे ककरदरी गांव पहुंचा. इस गांव तक पहुंचने के लिए ऊबड़ खाबड़ सड़कों से गुजरना होता है. इस गांव में पहुंचते ही आपको बिजली के खंभे तो मिलेंगे लेकिन उनमें करंट नहीं दौड़ता. गांववालों का कहना है कि यहां पर 10-15 साल पहले ही बिजली के खंबे लग गए थे और तार भी डाल दिए गए थे. लेकिन जंगल विभाग की इजाजत न मिलने की वजह से यहां पर बिजली आज तक यहां नहीं पहुंच सकी है. लोगों का कहना है कि हमलोग आज भी अंधेरे में अपनी जीवन व्यतीत करने को मजबूर हैं.
नेपाल सीमा से सटा होने के बावजूद ये हाल
सरकार दावा कर रही है सौभाग्य योजना के तहत हर घर बिजली पहुंचा दी गई है और हर घर बिजली से रोशन है, लेकिन यहां बिजली ना होने से लोगों को खाना बनाने में टार्च का सहारा लेना होता है. रात में बच्चे पढ़ाई नहीं कर सकते. ऐसी तमाम दिक्कतों का सामना यहां के लोगों को करना पड़ता है. वहीं नेपाल भारत सीमा से सटे होने के नाते इस गांव में अंधेरा होने से रात का फायदा उठाकर संदिग्ध लोगों के आने की आशंका भी बनी रहती है. इस गांव में खुली सीमा होने की वजह से कोई भी अंधेरे का फायदा उठाकर आ सकता है.
UP News: अखिलेश यादव के घर के बाहर पुलिस का सख्त पहरा, सपा विधायकों पर भी पाबंदी
गांव न सड़क है न बिजली
परेशानियों का अंत सिर्फ यहीं तक नहीं है. गांव में किसी के बीमार होने पर कोई एंबुलेंस तक नहीं पहुंच पाती. लोगों को खुद की किसी न किसी तरह 15 से 20 किलोमीटर दूर स्थिति मल्हीपुर, जमुनहा या भिनगा अस्पताल ले जाना होता है. सवाल ये है कि आखिर क्यों सीमा से सटे इस गांव में विकास की बयार अब तक पहुंच पाई है.
बिजली विभाग की ओर से दी गई ये दलील
इस बारे में बिजली विभाग के अधिशासी अभियंता डीपी सिंह बताते है कि हमारी बिजली की लाइन तुरुसमा गांव तक पहुंची है लेकिन उसके आगे जंगल है. 2011 में ककरदरी गांव में खंबे गढ़वा कर लाइन बना दी गई थी, लेकिन जंगल विभाग की तरफ से NOC न मिलने से वह बिजली नहीं पहुंच सकी है. गांव के लोग सोलर ऊर्जा से काम चला रहे हैं. जब वन विभाग NOC देगा तो इस गांव को रोशन किया जाएगा.
ये भी पढ़ें-