UP News: शुआट्स के कुलपति समेत अन्य अधिकारियों के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज, जानें- क्या है पूरा मामला
UP Stf: प्राथमिकी के मुताबिक, स्थानीय निधि लेखा परीक्षा के निदेशक की जांच में पाया गया कि साल 1984 से 2017 के बीच कुल 69 प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर के पदों पर निर्धारित भर्ती प्रक्रिया (मानक) के विपरीत नियुक्ति की गई.
Shuats Froud Case: यूपी के फतेहपुर में सामूहिक धर्मांतरण को लेकर चर्चा में आए कृषि विश्वविद्यालय (Shuats) के कुलपति आरबी लाल (RB Lal) और अन्य अधिकारियों के खिलाफ उत्तर प्रदेश विशेष कार्यबल (UP Stf) की प्रयागराज इकाई के डीएसपी नवेंदु कुमार (Navendu Kumar) ने अवैध नियुक्ति और सरकारी धन के दुरुपयोग के मामले में गुरुवार को नैनी थाने में दो प्राथमिकियां दर्ज करायी हैं.
12 लोगों की अवैध नियुक्ति का आरोप
पहली प्राथमिकी में सैम हिग्गिनबटम युनिवर्सिटी ऑफ एग्रिकल्चर, टेक्नोलाजी एंड साइंसेज (शुआट्स) के कुलाधिपति जेए आलिवर, कुलपति आरबी लाल, तत्कालीन रजिस्ट्रार एके लारेंस, प्रति कुलपति सुनी बी लाल, एचआरएएम के तत्कालीन निदेशक बिनोद बिहारी लाल, रजिस्ट्रार राबिन एल प्रसाद, तत्कालीन वित्त निदेशक स्टीफन दास, डीन मोहम्मद इम्तियाज सहित 12 से अधिक लोगों के खिलाफ अवैध नियुक्तियों का मामला दर्ज कराया गया है.
नियुक्तियों में भ्रष्टाचार का है मामला
प्राथमिकी के मुताबिक, स्थानीय निधि लेखा परीक्षा के निदेशक की जांच में पाया गया कि साल 1984 से 2017 के बीच कुल 69 प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर के पदों पर निर्धारित भर्ती प्रक्रिया (मानक) के विपरीत नियुक्ति की गई. आरोप लगाया गया है कि इन नियुक्तियों में संदिग्ध अभिलेखों का उपयोग करते हुए भ्रष्ट आचरण अपनाया गया.
करोड़ों की वित्तीय अनियमितता के भी आरोप
दूसरी प्राथमिकी वित्तीय व्यवस्थाओं में अनियमितता को लेकर दर्ज कराई गई है. इसमें कहा गया है कि स्थानीय निधि लेखा परीक्षा के निदेशक की जांच में पाया गया कि शुआट्स के कुलपति और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने प्रसार योजना, आयोजन और प्रशिक्षण में बिना अनुदान सत्यापन के 32 लाख रुपये का भुगतान किया. इसके अलावा, वेतन भत्ता, यात्रा व्यय, वेतन निर्धारण, वेतन वृद्धि आदि मद में 69 लाख रुपये का अधिक भुगतान किया गया. वहीं चालक, अनुसेवक, लेखाकार और निविदा के विपरीत फर्मों को 1.70 करोड़ रुपये से अधिक का सीधे भुगतान किया गया. प्राथमिकी के मुताबिक, अवैध नियुक्ति के आधार पर वेतन भत्ते के मद में 2.68 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया गयात्र. इसी प्रकार, शासन से विभिन्न मदों में दिए गए अनुदान की धनराशि 5.56 करोड़ रुपये का अनियमित भुगतान किया गया.
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