CM योगी आदित्यनाथ बोले- भारत के मूल संविधान में नहीं थे समाजवादी और सेक्यूलर शब्द
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संविधान दिवस पर कहा है कि इमरजेंसी के दौर में कांग्रेस ने चोरी से चुपके से दो शब्द जोड़े हैं.
UP News: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संविधान दिवस पर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि भारत के संविधान के मूल में समाजवादी और सेक्यूलर शब्द नहीं थे. संविधान दिवस के मौके पर राजधानी लखनऊ में एक कार्यक्रम के दौरान उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब सुप्रीम कोर्ट द्वारा इन शब्दों को संविधान से हटाने की याचिकाएं खारिज कर दी गईं हैं.
सीएम ने कहा कि जिन लोगों ने भारत के संविधान का गला घोंटने का काम किया था,जनता ने भी उनको सबक सिखाने में कोई कोताही नहीं बरती है. भारत के मूल संविधान में सेक्युलर और समाजवादी शब्द नहीं थे. बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर के संविधान में "दो शब्द" नहीं थे. सेक्युलर और सोशलिस्ट शब्द संविधान में नहीं थे. इमरजेंसी के दौर में कांग्रेस ने चोरी से चुपके से यह शब्द जोड़े हैं.
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हर नागरिक को मताधिकार का अधिकार देता है संविधान- सीएम योगी
इसके अलावा सीएम ने कहा कि बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने आज के ही दिन एक भारत श्रेष्ठ भारत की नींव रखी. हम लोग चाहेंगे संविधान सभा के दौरान जो डिबेट हुए हैं ,वो संस्थानों में होने चाहिए. भारत का संविधान हमें अधिकार देता है ,हर नागरिक को मताधिकार का अधिकार देता है.
संविधान दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोकभवन में आयोजित समारोह में संविधान की उद्देशिका का पाठन कराया और संविधान निर्माताओं को नमन किया. योगी के साथ उप्र के दोनों उपमुख्यमंत्रियों केशव प्रसाद मौर्य व ब्रजेश पाठक ने उद्देशिका का वाचन किया. मौर्य और पाठक ने भी सभा को संबोधित किया. मुख्यमंत्री ने भारत के संविधान को दुनिया का सबसे विस्तृत और सशक्त संविधान बताते हुए कहा कि बाबा साहब ने सबसे पहले संविधान के रूप में ‘‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’’ की आधारशिला रखी. एक आधिकारिक बयान के अनुसार, योगी ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि संविधान की उद्देशिका से छेड़छाड़ कर कांग्रेस ने भारत के संविधान का गला घोंटा है.
बता दें सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक फैसले में संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’, ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ जैसे शब्द जोड़ने वाले 1976 के संशोधन को चुनौती देने वाली याचिकाएं सोमवार को खारिज कर दीं. ‘समाजवादी’, ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ शब्दों को 1976 में इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा पेश किए गए 42वें संविधान संशोधन के तहत संविधान की प्रस्तावना में शामिल किया गया था.