UP News: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बुधवार को कहा कि उत्तर प्रदेश गैंगस्टर एवं असामाजिक गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (Gangster and Anti-Social Activities (Prevention) Act) ‘कठोर’ प्रतीत होता है. जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच ने यह टिप्पणी एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई के दौरान की जिसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के मई 2023 के आदेश को चुनौती दी गई है. बेंच ने अपील स्वीकार करते हुए कहा, 'यह अधिनियम कठोर प्रतीत होता है. हम इस पर विचार करेंगे.'
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले वर्ष नवंबर में मामले की सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य से याचिका पर जवाब मांगा था और कहा था, 'अस्थाई अंतरिम आदेश के माध्यम से गैंगस्टर एक्ट के तहत याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई दंडात्मक कदम नहीं उठाया जाएगा.' बुधवार को याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि गंगा नदी में अवैध खनन के आरोप में 1986 के अधिनियम के प्रावधानों के तहत उस पर मामला दर्ज किया गया है. वकील ने तर्क दिया कि इससे पहले कथित अवैध खनन से संबंधित एक अन्य प्राथमिकी दर्ज की गई थी.
संभल मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट से योगी सरकार को मिली बड़ी राहत, वापस हुई एक याचिका
वकील ने दिया ये तर्क
वकील ने तर्क दिया, 'उन्होंने एक ही आरोप के लिए मुझ पर दो बार मामला दर्ज किया है.' इस पर राज्य की ओर से पेश वकील ने 1986 के अधिनियम के प्रावधानों का हवाला दिया. बेंच ने कहा, 'इस पर विचार करने की आवश्यकता है.' साथ ही बेंच ने कहा कि अधिनियम के कुछ प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली एक अन्य याचिका भी उसके समक्ष लंबित है. हाईकोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि उसे गैंगस्टर अधिनियम के तहत दर्ज मामले में झूठा फंसाया गया है.