यूपी के मुरादाबाद में मिला मंदिर, 44 साल पहले दंगों के बाद से था बंद, पुजारी की हो गई थी हत्या, खुदाई में मिलीं प्रतिमाएं
Moradabad News: उत्तर प्रदेश में मंदिरों के खुलने और मिलने का दौर जारी है. संभल के बाद अब मुरादाबाद में 44 साल बाद एक मंदिर खुला है.
Moradabad Mandir News: उत्तर प्रदेश स्थित मुरादाबाद में 44 साल बाद एक मंदिर मिला है. यहां कुछ खंडित प्रतिमाएं मिली हैं. जानकारी के अनुसार नागफनी थाना इलाके के दौलत बाग में गौरी शंकर मंदिर मिला. खुदाई मूर्तियां में मिलीं. साल 1980 में साम्प्रदायिक दंगे में पुजारी की हत्त्या के बाद से मंदिर बंद था.सोमवार, 30 दिसंबर को पुलिस प्रशासन की मौजूदगी में खुदाई हुई.
इस मंदिर को पहले से खोलने की बात चल रही थी. यहां गर्भ गृह में खुदाई हुईं. इसके बाद यहां से प्रतिमाएं निकलीं. मंदिर के भीतर मलबे को हटाया गया. मौके पर बड़ी संख्या में पुलिस कर्मी और जिला प्रशासन के अधिकारी मौजूद थे. इस मंदिर को खोलने की लंबे समय से मांग हो रही थी.
इस मंदिर का नाम गौरी शंकर मंदिर है. जानकारी के अनुसार साल 1980 में मुरादाबाद में हुए दंगे के बाद से बंद था. इसी दंगे में मंदिर के पुजारी की हत्या कर दी गई थी.
मंदिर खोलने की मांग करने वाले सेवाराम ने किया ये दावा
मंदिर को खोलने की मागं करने वाले सेवाराम ने कहा कि यह मंदिर साल 1954 में हमारे परदादा ने बनवाया था. सन् 1980 के दंगे में हमारे दादा का कत्ल हो गया. 1980 के वक्त में यह इलाका पूरा हिन्दू इलाका था. डीएम से शिकायत के बाद आज यहां खुदाई हो रही है जहां से शिव परिवार निकला है. सेवाराम ने कहा कि हमारी मांग है कि यहां निर्माण कार्य हो. अभी तो यह खंडहर की हालत में है.
मौके पर मौजूद स्थानीय ओम शंकर ने दावा किया कि यहां पहले हिन्दू ही रहते थे. सन् 80 में यहां हिन्दू रहते थे. यह पर लगभग सैनी लोग ज्यादा रहते थे. मिलीजुली आबादी थी. लेकिन 1980 से यह मंदिर बंद था.
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जिला प्रशासन ने क्या कहा?
इस संदर्भ में जिला प्रशासन की ओर से मौके पर मौजूद एसडीएम सदर ने कहा कि हमें शिकायत मिली थी और जिलाधिकारी के निर्देश थे कि नागफनी थाना में गौरीशंकर मंदिर है जो बंद है. पिछले शनिवार हमने यहां दौरा किया था, जहां देखा कि सारे दरवाजे बंद थे. आज इसको नगर निगम की टीम के साथ इसको खोला गया. अंदर यहां कचरा भरा था. जिसे अब निकाला गया है. हमारा प्रयास है कि हम मंदिर को उसके मूल स्वरूप में लाएं.
अतिक्रमण संबंधी सवाल पर एडीएम ने कहा कि हमारी प्राथमिकता थी कि मंदिर के गर्भगृह को मूल स्वरूप में लाया जाए. अभी मंदिर का काफी परिसर उपलब्ध है. इसका परिसर पहले कितना था, उस पर अलग से होमवर्क करेंगे.