Sonbhadra: स्वतंत्रता संग्राम में सोनभद्र के लोगों ने भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया था. जब सोनभद्र अविभाजित मिरजापुर जिले का हिस्सा था, तब यह क्षेत्र स्वतंत्रता आंदोलन का केंद्र बिंदु माना जाता था. यहां अवज्ञा आंदोलन से लेकर अंग्रेजो भारत छोड़ो आंदोलन तक की लड़ाई लड़ी गई थी. वर्ष 1932 में परासी गांव में शहीद स्थल पर जब सेनानियों ने झंडा फहराने का ऐलान किया, वहां सेनानी इकट्ठा हुए, तब अंग्रेजों ने सेनानियों पर घोड़ा दौड़ा दिया था. इससे शहीद उद्यान की धरती रक्तरंजित हो गई थी.


अमर सेनानी पंडित महादेव चौबे की कर्मस्थली थी परासी




स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित महादेव चौबे के पौत्र विजय शंकर चतुर्वेदी ने बताया कि शहीद स्थल परासी स्वतंत्रता आंदोलन के महानायक अमर सेनानी पंडित महादेव चौबे की कर्मस्थली थी. यहां से वे आंदोलन को दिशा देते थे. उनकी प्रेरणा से सौ से ज्यादा नवयुवक सिर पर कफ़न बांध कर मां भारती की आजादी के लिए उनके साथ हो लिए थे. उन्होंने अपने दोनों पुत्रों प्रभाशंकर और देवेंद्र नाथ को भी आंदोलन की आग में झोंक दिया था.


जब रात में ही बांटा जाता था अखबार






 स्वतंत्रता सेनानी पंडित दूधनाथ पांडे के पौत्र शशि भूषण पांडे बताते हैं कि पंडित दूधनाथ पांडे ने  26 साल की उम्र में अखबार निकालने के लिए कंपोजिंग करना सीखा और फिर परिवर्तन नामक अखबार का प्रकाशन किया. विजय बताते हैं कि यह साप्ताहिक अखबार था. सोनभद्र का क्षेत्र काफी दुरूह होने के कारण यहां न तो कोई संदेश पहुंच पाता था और न ही अंग्रेजों के जुल्मों की जानकारी लोगों को मिल पाती थी. अंग्रेज क्या कर रहे हैं क्या नहीं कर रहे कुछ पता नहीं चलता था. ऐसे समय में यह अखबार यहां के लोगों तक जानकारी पहुंचाने का अहम माध्यम बना. अंग्रेजों ने इस अखबार को बंद कराने के लिए कई सिपाही पीछे लगाए. अंग्रेजों की नजरों से बचने के लिए रात में यह अखबार छपता था और रात में हीं बांटा जाता था


देश की आजादी में जिले ने अहम योगदान दिया
वहीं सोनभद्र सदर विधायक भूपेश चौबे कहते हैं कि जनपद का देश की आजादी में बहुत बड़ा योगदान था. हम लोग सुना करते थे की इस बागीचे में सेनानी जुटे हैं तो इस जगह पर सेनानियों का जमावड़ा हुआ है. आजादी उन्हीं की देन है जिसके कारण हम आज खुले में सांस ले रहे हैं.


आज सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहा स्वतंत्रा सेनानी का परिवार
देश की आजादी के लिए जिन्होंने अपनी जान की बाजी लगा दी, आज उन्हीं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बुद्धसागर के वंशज आश्रित प्रमाणपत्र के लिए जिला प्रशासन के कार्यालय का चक्कर काट रहे हैं. सेनानी के पौत्र अजीत शुक्ला ने जिला प्रशासन को शिकायती पत्र देकर आश्रित प्रमाण पत्र की मांग की है. प्रशासन ने इस पत्र पर कार्रवाई शुरू कर दी है. इसी क्रम में मिर्जापुर जेल से सेनानी का रिकॉर्ड तलब किया गया है.


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