UP News: उत्तर प्रदेश में लगातार नदियों की हालत खराब होते जा रही है. इनका पानी जहरील भी होते जा रहा है, सीवेज को नदियों में छोड़ने से लगातार ये दूषित होते चली जा रही है. वहीं प्रदेश में गंगा नदी का जल भी नालों और सीवेजों के कारण दूषित होता चला जा रहा है. महाकुंभ में श्रद्धालुओं को शुद्ध जल मिले इसके लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है.

बता दें कि एनजीटी(नेशनल ग्रीन ट्रीब्यूनल ) की जांच में पाया गया कि गंगा का जल आचमन योग्य भी नहीं है. एनजीटी ने महाकुंभ में आने वाले 40 करोड़ श्रद्धालु को शुद्ध जल नहीं मिलने की आशंका जताते हुए चिंता जताई थी. एनजीटी के इस नोटिस के बाद मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह  की अध्यक्षता में गठित कमेटी की मंगलवार को प्रयागराज में बैठक हुई. मुख्य सचिव तथा अन्य सदस्यों ने नैनी एवं सलोरी एसटीपी का निरीक्षण भी किया.

एनजीटी ने किया नया मानक जारी
बैठक के बाद मुख्य सचिव ने प्रेसवार्ता की. जिसमें उन्होंने कहा कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का अधिकतम 30 बीओडी मानक है, इसी मानक के अनुसार अपकरण भी उपलब्ध कराए गए है. इसी के अनुसार एसटीपी का भी निर्माण समेत अन्य कार्य कराए जा रहे है.अब एनजीटी ने नया मानक जारी किया है. इसके अनुसार अधिकतम 10 बीओडी वाले जल को अच्छा माना गया है.

मुख्य सचिव ने यह भी कहा कि नए मानक को लेकर हम अभी तक तैयार नहीं है. वहीं इसको लेकर सरकार की ओर से अभी तक  कोई गाइडलाइन भी जारी नहीं की गई है.महाकुंभ को लेकर उन्होंने बताया कि श्रद्धालुओँ को शुद्ध जल ही मिलेगा.साथ ही सभी नालों का टैप कर लिया जाएगा. इनका सोधन करने के बाद ही इन्हें नदियों में छोड़ा जाएगा.


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