UP Nagar Nikay Chunav 2022: उत्तर प्रदेश सरकार ने स्थानीय निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को आरक्षण देने को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ में मंगलवार को अपना जवाब दाखिल किया.
सरकार ने अदालत को बताया कि इस चुनाव में ओबीसी आरक्षण लागू करने के लिए सरकार की ओर से अपनाई गई व्यवस्था उतनी ही अच्छी है जितनी सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुझाया गया ‘ट्रिपल टेस्ट फार्मूला’ है.
पीठ ने सरकार के इस जवाब को रिकॉर्ड में ले लिया है. इस मामले में सुनवाई बुधवार को भी जारी रहेगी. इस बीच, पीठ ने चुनाव के लिए अधिसूचना जारी करने पर लगी रोक बुधवार तक के लिए बढ़ा दी.
जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस सौरभ लवनिया की पीठ ने याचिकाकर्ता वैभव पांडेय समेत अन्य की याचिकाओं पर यह आदेश पारित किया.
राज्य की व्यवस्था ‘ट्रिपल टेस्ट’ जितनी अच्छी- सरकार
सरकार के जवाब पर पीठ ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, “हम इस बात से असहमत हैं कि राज्य की व्यवस्था ‘ट्रिपल टेस्ट’ जितनी अच्छी है. हमें उम्मीद थी कि राज्य सरकार यह कहेगी कि वह सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन कर स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण तय करने के लिए एक समर्पित आयोग गठित करेगी.”
सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित ‘ट्रिपल टेस्ट फार्मूला’ में राज्यों के लिए यह आवश्यक किया गया है कि वे एक आयोग गठित कर समुदाय के आंकड़े एकत्रित करे और स्थानीय निकाय में उन्हें दिया गया आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक न हो.
सरकार के हलफनामे के बाद मामले के कुछ याचिकाकर्ताओं ने भी अदालत में अपने जवाब दाखिल किए. इस बीच, इसी मुद्दे पर कुछ और याचिकाएं इस अदालत में दायर की गईं और अदालत ने उन्हें वैभव पांडेय की याचिका के साथ नत्थी कर दिया.
सरकार ने कहा- 2017 में एक व्यवस्था बनाई
अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता अमिताभ राय द्वारा दाखिल जवाबी हलफनामा में राज्य सरकार ने कहा है कि राज्य ने इन चुनावों में आरक्षण लागू करने के लिए नगरपालिका अधिनियम 1916 और नगर निगम अधिनियम 1959 के प्रावधानों के साथ ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन किया है.
राज्य ने कहा कि उसने स्थानीय निकाय चुनावों में आरक्षण उपलब्ध कराने के लिए 2017 में एक व्यवस्था बनाई थी जिसमें मानक परिचालन प्रक्रिया उपलब्ध कराई गई है और इसे इस चुनाव में भी अपनाया गया है.
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