UP Nagar Nikay Chunav 2023: उत्तर प्रदेश के बस्ती (Basti) जनपद के नगर पालिका सीट पर सभी दल के नेता जीत का दावा कर रहे, मगर सपा (SP) के लिए नगर पालिका किसी अभिशाप से कम नहीं है. नगर पालिका को गठन हुए 40 साल हो चुके हैं, लेकिन यहां अध्यक्ष की कुर्सी पर बीजेपी (BJP), कांग्रेस (Congress) से लेकर बसपा (BSP) के चेयरमैन पर काबिज हुए, मगर यह दुर्भाग्य ही रहा कि इतने सालो में यहां की जनता ने आज तक कभी सपा को मौका नहीं दिया. मतलब बस्ती नगर पालिका सपा के लिए चालीस सालों से सूखा साबित हुआ है. आखिर इस बार क्या है नगर पालिका का समीकरण, क्या इस बार सपा इतिहास बनाएगी या एक बार फिर से इतिहास अपने आप को दोहराएगा. चलिए समझने की कोशिश करते हैं. 


बस्ती नगर पालिका सीट पर इस समय लड़ाई बेहद दिलचस्प मोड पर है, जो दल 40 साल से कभी यहां काबिज नहीं हो पाए वो इस बार कड़ी टक्कर दे रहे हैं. सपा ने यहां नगर पालिका अध्यक्ष पद के प्रत्याशी अंकुर वर्मा की पत्नी नेहा वर्मा प्रत्याशी बनाया है. अंकुर वर्मा की छवि बेदाग और सरल स्वभाव वाली है, और राजनीति में उनका 20 साल से अधिक का अनुभव भी है. ऐसे में बीजेपी और सपा में कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है. सपा इस अभिशाप को मिटाना चाहती है, तो वहीं बीजेपी हैट्रिक बनाना चाहती है. हर बार यहां की जनता ने सपा को नकारा है. इसकी वजह यहां का जातीय समीकरण माना जाता है. 


सपा ने लगाया इस नेता पर दांव


इस बार सपा ने बेदाग छवि के नेता पर दांव खेला, जो बेचारा बनकर पहले से चुनाव में अपनी छवि बना चुके थे, इसी का फायदा उठाते हुए सपा ने अंकुर वर्मा को सपा में शामिल कराया और उन्हें तुरंत कैंडिडेट बना दिया. अंकुर वर्मा पिछले निकाय चुनाव में कांग्रेस से चुनाव लड़े थे मगर वो महज 2800 वोट से बीजेपी के प्रत्याशी से हार गए, अंकुर वर्मा और उनकी पत्नी नेहा वर्मा बीजेपी को कड़ी टक्कर देते नजर आए मगर वोटो के ध्रुवीकरण का वे शिकार हो गए और चुनाव हार गए. अंकुर वर्मा ने हार नहीं मानी और लगातार राजनीति व समाज सेवा में सक्रिय रहे, यही सब कारण है कि इस बार जनता अंकुर वर्मा की मेहनत को देख रही है और उसका फायदा भी नजर आ रहा है. 


इस बार चौंका सकते हैं नतीजे


वरिष्ठ पत्रकार और राजनीति के जानकार सरदार जगबीर सिंह ने सपा के सूखे पर बात करते हुए कहा कि पिछले कुछ सालों में बूथ स्तर तक सपा की पकड़ नहीं थी, शहर की जनता के बीच सपा को छवि ठीक नहीं थी, कभी कैंडिडेट थी नहीं रहे तो कभी सपा ने दमदारी से चुनाव नही लड़ा, जिस वजह से पिछले 40 साल से सपा नगर पालिका पर काबिज नहीं हो पाई. मगर इस बार सपा ने जिस कैंडिडेट को चुनाव में उतारा है, वो बेदाग छवि के है और उन्हें जनता पसंद भी कर रही है, नगर पालिका के इस बार नतीजे जरूर चौंकाने वाले होंगे.  


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