UP Nikay Chunav 2023: बीजेपी ने इस बार सभी 17 नगर निगम में जीत हासिल करने की रणनीति के तहत काम कर रही है. हालांकि, पश्चिमी उत्तर प्रदेश (West UP) एक बार फिर बीजेपी (BJP) के सामने चुनौती बनी हुई है, क्योंकि 2017 में भी बीजेपी पश्चिमी उत्तर प्रदेश की दो नगर निगम में मेयर की सीटें नहीं जीत पाई थी.


2017 में लाख कोशिशों के बाद भी मेरठ और अलीगढ़ में बीजेपी पिछले निकाय चुनाव में अपना मेयर उम्मीदवार नहीं जिता पाई थी, लेकिन इस बार बीजेपी के सामने चुनौती और बड़ी है, क्योंकि अखिलेश यादव और जयंत चौधरी एक साथ है. वहीं, बसपा मुस्लिम वोट बैंक के सहारे जीत हासिल करने में जुटी है. यही वजह है कि बीजेपी ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए पहली बार पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या में मुस्लिम उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा है.


बीजेपी ने जीत के लिए लगाया पूरा दमखम


दरअसल, निकाय चुनाव को लेकर बीजेपी जोर-शोर से जुटी है. पार्टी का फोकस सभी 17 नगर निगम पर है. इसमें भी खासतौर से पश्चिमी उत्तर प्रदेश की दो सीटें अलीगढ़ और मेरठ पर पार्टी ने पूरा ध्यान केंद्रित कर रखा है. इसके पीछे एक बड़ी वजह है कि 2017 के निकाय चुनाव में भी बीजेपी इन दो नगर निगमों में जीत हासिल नहीं कर पाई थी. इस बार तो बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और महामंत्री संगठन दोनों पश्चिमी उत्तर प्रदेश से ही है. इसलिए पार्टी ने यहां चुनाव जीतने के लिए पूरा दमखम लगाया हुआ है.


SP और RLD गठबंधन ने बढ़ाई परेशानी


इस बार जहां समाजवादी पार्टी और आरएलडी गठबंधन पश्चिमी उत्तर प्रदेश में तमाम सीटों पर बीजेपी के सामने चुनौती पेश कर रहा है. वहीं, बहुजन समाज पार्टी ने मुस्लिम वोट बैंक अपने पाले में लाने के लिए अलग रणनीति बनाई है. खासतौर से इमरान मसूद बसपा के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रणनीति तैयार कर रहे हैं और शायद यही वजह है कि बीजेपी ने भी पहली बार इतनी बड़ी संख्या में मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं. इसमें सबसे ज्यादा संख्या पश्चिम क्षेत्र की ही है. 


मुसलमानों को रिझाने में जुटी बीजेपी


पश्चिम यूपी में बीजेपी ने लगभग 18 नगर पालिका अध्यक्ष के उम्मीदवार उतार दिए हैं. इसके अलावा इस बार पूरे निकाय चुनाव में बीजेपी ने 395 मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे हैं. इसमें सबसे ज्यादा संख्या पश्चिमी उत्तर प्रदेश की है. पार्टी के एमएलसी विजय बहादुर पाठक ने बीजेपी की रणनीति साफ करते हुए कहा कि जो सीटें बीजेपी नहीं जीती, उन सीटों को कैसे जीता जाए, इसके लिए पार्टी का हर एक कार्यकर्ता काम कर रहा है. इसके साथ ही जो सीटें जीती हैं, उसे कैसे बरकरार रखा जाए, यह भी बीजेपी की राजनीति में शामिल है.


निषाद पार्टी ने बीजेपी की जीत का किया दावा


वहीं, बीजेपी की सहयोगी निषाद पार्टी के अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री संजय निषाद का साफ तौर पर कहना है कि समाजवादी पार्टी हो, कांग्रेस हो या बसपा हो, सभी ने मुस्लिम समाज को सच्चर कमेटी की रिपोर्ट की बात बता कर केवल उनका वोट लिया, जबकि अब पश्चिम का निषाद और कश्यप समाज ये समझ रहा है कि किसके साथ जाने में उसका हित है. ऐसे में वहां इस बार बीजेपी को ही जीत मिलेगी.


मुसलमानों को साधने में जुटी बीजेपी


बीजेपी ने 17 नगर निगम जीतने के लिए अपनी, जो रणनीति तैयार की है, उसमें मुस्लिम कैंडिडेट भी उसकी रणनीति का ही हिस्सा है. खास तौर से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में लक्ष्य को हासिल करने के लिए इस बार राजनीति में बदलाव किया है. हालांकि इसका कितना फायदा बीजेपी को मिलेगा, यह तो जब 13 मई के नतीजे सामने आने के बाद ही पता चलेगा.


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