UP Nikay Chunav 2023 Date: अयोध्या नगर निगम चुनाव में बागी बीजेपी (BJP) के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं. हालांकि, ये बागी भी दावा कर रहे हैं कि वह योगी और मोदी और बीजेपी के साथ हैं. इसके साथ ही वह सवाल खड़ा करते हैं कि 2017 के पहले कांग्रेस (Congress) में रहने वाले जिस प्रत्याशी को अयोध्या नगर निगम (Ayodhya Municipal Corporation) मेयर का प्रत्याशी बनाया गया है. वह पहले कांग्रेस में रहते हुए बीजेपी को गाली देता था. ऐसे में आखिर बीजेपी के निष्ठावान कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज कर ऐसे व्यक्ति को टिकट देने की क्या वजह है.


दलबदलू को टिकट देने से नाराज प्रत्याशी को जनता से उम्मीद है. उनका कहना है कि इसका जवाब जनता देगी. इसके साथ ही बीजेपी के बागियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बाकायदा ऐलान किया कि उन्हें कमल का सिंबल भले न मिला हो, लेकिन वह भगवा झंडा लेकर चुनाव लड़ेंगे. अगर ऐसा हुआ, तो कमल के सामने भगवा चुनौती के रूप में खड़ा दिखाई देगा. 


बगावत के बाद भी बताया बीजेपी का सिपाही


टिकट मिलने के पहले ही बीजेपी से मेयर पद के लिए अपनी पत्नी अनीता पाठक के नाम से नामांकन कर चुके शरद पाठक बाबा ने बाकायदा बीजेपी के ही उन पार्षद उम्मीदवारों के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिनको बीजेपी से टिकट नहीं मिला है. हालांकि, सभी यह कहते हुए दिखाई दिए कि वह पीएम मोदी, सीएम योगी और बीजेपी के साथ है. 


पार्टी की छवि हो रही है धूमिल 


बीजेपी के बागी प्रत्याशी शरद पाठक बाबा ने कहा कि यह बगावत की जंग नहीं है, न मैं मोदी को छोड़ रहा हूं. मैं अब भी बीजेपी, सीएम योगी और मोदी के साथ हूं. लेकिन यहां के स्थानीय नेताओं के कृत्यों का विरोध करने का हमारा फर्ज बनता है. अगर परिवार में कहीं गड़बड़ी होती है, तो उसके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए. वह आवाज उठा कर के मैं अपने अभिभावकों के पास पहुंचा रहा हूं, ताकि हमारी अभिभावक जाने कि यहां पर क्या हो रहा है. यहां जो कुछ भी हो रहा है, इससे पार्टी की छवि धूमिल हो रही है. 


बीजेपी को अपनों से हो सकता है नुकसान


इन सभी की सबसे बड़ी शिकायत अयोध्या के मेयर प्रत्याशी घोषित किए गए गिरीश पति त्रिपाठी को लेकर है, जो 2017 तक कांग्रेस पार्टी के सक्रिय मेंबर थे. इसके बाद बीजेपी में शामिल हुए. अब टिकट न मिलने से नाराज प्रत्याशी सवाल उठा रहे हैं कि आखिर जो 2017 तक बीजेपी को गाली देता था, ऐसी कौन सी मजबूरी रही है कि ऐसे व्यक्ति को टिकट दिया गया. इसीलिए अब पार्षद पद के ऐसे प्रत्याशी जिनको बीजेपी से टिकट नहीं मिला, उनके साथ बैठक करके नई रणनीति बनाई जा रही है और अगर यह रणनीति सफल रही, तो बीजेपी को अपनों से ही नुकसान होना तय है.


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