UP Nikay Chunav 2023: निकाय चुनाव में बीजेपी के बागियों ने बढ़ाई मुसीबत, निर्दलीय भरा नामांकन, लखनऊ से आगरा तक खोला मोर्चा
UP Nikay Chunav 2023 Date: बीजेपी जानती है कि अगर इन बागी नेताओं को मनाया नहीं गया या फिर इसी तरह संगठन के भीतर नाराजगी रही तो उसका खामियाजा पार्टी को चुनावों में उठाना पड़ सकता है.
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UP Nagar Nikay Chunav 2023: यूपी नगर निकाय चुनाव में बीजेपी (BJP) के बागियों ने सिरदर्द बढ़ा दिया है. सबसे बड़ी बात ये है कि पार्टी के अंदर आगरा (Agra) से लेकर लखनऊ (Lucknow) तक कई जनपदों में टिकटों को लेकर बगावत देखने को मिल रही है. कई नेता तो अब पार्टी के विरोध में ही खुलकर सामने आ गए हैं. उन्होंने बीजेपी से टिकट न मिलने पर निर्दलीय नामांकन भर दिया. ऐसे में गुरुवार को जब पहले चरण के लिए नामांकन वापसी का आखिरी दिन था तो बीजेपी ने मिशन 'बागी बिठाओ अभियान' चलाया और बागियों को समझा-बुझाकर उनका नामांकन वापस कराया लेकिन अब भी कई नेताओं में बगावत कायम है.
नगर निकाय चुनाव में बीजेपी में सबसे ज्यादा टिकटों को लेकर मारामारी देखने को मिल रही हैं. एक-एक सीट के लिए कई नेताओं-नेताओं ने आवेदन दिया था, ऐसे में बीजेपी के सामने अपने सभी कार्यकर्ताओं को खुश रखते हुए पार्टी का प्रत्याशी चुनने की बड़ी चुनौती थी. जिन नेताओं को बीजेपी से टिकट नहीं मिल पाया वो बागी हो गए और उनमें से कई ने तो निर्दलीय ही नामांकन भर दिया. बीजेपी जानती है कि अगर इन बागी नेताओं को मनाया नहीं गया या फिर इसी तरह संगठन के भीतर नाराजगी रही तो उसका खामियाजा पार्टी को चुनावों में उठाना पड़ सकता है.
बागियों को मनाने में जुटी पुलिस
टिकटों को लेकर पार्टी में बढ़ती बगावत को देखते हुए बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने तामाम जिलों में बागी उम्मीदवारों को मनाने दिग्गज नेताओं को जिम्मेदारी दी गई. पहले चरण के लिए नामांकन वापसी का आखिरी दिन यानी 20 अप्रैल को दिनभर बागियों को मनाने का काम किया गया. पार्टी की ओर से हर जनपद में विधायकों, सांसद और जिला परिषद के पदाधिकारियों को ये जिम्मेदारी दी गई थी. हालांकि इसमें बीजेपी को काफी सफलता भी हासिल हुई. बागियों को भरोसा दिलाया गया कि भले ही उन्हें टिकट नहीं मिल पाई हो लेकिन पार्टी और सरकार में उन्हें उचित तरीके से समायोजित किया जाएगा.
पार्टी ने बागी नेताओं का नामांकन वापस कराने के लिए पूरा जोर लगा दिया, ताकि पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार की जीत में कोई रुकावट न आ सके. बीजेपी को इसमें काफी हद तक सफलता भी मिली, कई बागियों ने अपना नामांकन वापस ले लिया, लेकिन अब भी कई ऐसे उम्मीदवार हैं जिन्होंने अपना नामांकन वापस नहीं लिया है और वो निर्दलीय खड़े होकर अपनी ही पार्टी के खिलाफ ताल ठोंक रहे हैं.
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