UP Nagar Nikay Chunav Date: मेरठ महापौर सीट पर सपा के विधायक अतुल प्रधान (Atul Pradhan) और ऊर्जा राज्य मंत्री डॉ सोमेंद्र तोमर (Soamendra Tomar) की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. दोनों ही नेता गुर्जर बिरादरी से आते हैं. सपा विधायक अतुल प्रधान की पत्नी सीमा प्रधान (Seema Pradhan) सपा (SP) से महापौर प्रत्याशी हैं, जबकि मंत्री डॉ सोमेंद्र तोमर पर बीजेपी (BJP) प्रत्याशी हरिकांत अहलूवालिया को जिताने की बड़ी जिम्मेदारी है. जिस वार्ड 26 में विधायक अतुल प्रधान और सीमा प्रधान रहते हैं उसी वार्ड में ऊर्जा राज्यमंत्री डॉ सोमेंद्र तोमर का भी आवास हैं. ऐसे में ये लड़ाई और भी ज्यादा दिलचस्प हो गई है. 


जिन गुर्जर वोटों के दम पर सोमेंद्र तोमर मेरठ दक्षिण से दूसरी बार विधायक बने और फिर मंत्री, उसी सोमेंद्र तोमर के गढ़ की गुर्जर वोटों पर अब अतुल प्रधान की नजर है. इस बारे में जब सोमेंद्र तोमर से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि गुर्जर राष्ट्रवादी, क्षत्रिय हैं और राष्ट्र के साथ हैं. आईए अब आपको मेरट मेयर सीट के जातिगत आंकड़े के बारे में समझाते हैं. 


मेरठ मेयर सीट का जातीय समीकरण


- मेरठ सीट पर गुर्जर मतदाताओं की संख्ता 30 से 40 हजार है
- मुस्लिम सबसे ज्यादा 4 लाख से ज्यादा हैं
- एससी समाज की वोट करीब पौने दो लाख हैं
- पंजाबी करीब एक लाख और वैश्य दो लाख हैं
- ब्राह्मण 85 हजार से ज्यादा व अन्य एक लाख से ज्यादा


दो गुर्जरों में सियासी टक्कर


यानी अखिलेश यादव ने गुर्जर मुस्लिम और एससी समीकरण को एक मंच पर लाकर मेरठ की महापौर सीट पर जीत का गणित बैठाने की कोशिश की है. अतुल प्रधान को भरोसा है कि गुर्जर वोट सीमा प्रधान को ही मिलेंगा, जबकि सोमेंद्र तोमर पर इन वोटो में सेंधमारी रोकना भी चुनौती है और बीजेपी प्रत्याशी हरिकांत अहलूवालिया को जिताना भी. हालांकि तोमर अपनी ताकत का एहसास विधायक अतुल प्रधान को पहले ही करा चुके हैं. उनके वार्ड 26 से पार्षद पद के प्रत्याशी सत्यपाल मास्टर को निर्विरोध चुनाव जिताकर उन्होंने अतुल प्रधान को पहला झटका दिया, क्योंकि यहां सपा अपना प्रत्याशी ही नहीं उतार पाई और बीजेपी पार्षद निर्विरोध जीत गए. जिसके बाद ये भी चुनाव में बड़ा मुद्दा बन रहा है कि सीमा प्रधान अपने ही वार्ड में सपा प्रत्याशी नहीं ढूंढ पाईं. 


अब मंत्री सोमेंद्र तोमर पर गुर्जरों वोट के सहारे फूल खिलाने की बड़ी जिम्मेदारी है और सपा विधायक अतुल प्रधान गुर्जर वोटो में सेंध लगाने को पूरी कोशिश कर रहें हैं, यानी दो गुर्जरों में सियासी जंग जारी हैं और कौन किस पर भारी है ये सवाल मेरठ में गूंज रहा है. सियासत के अखाड़े में दोनों ही बड़े खिलाड़ी हैं, लेकिन इस शह और मात के खेल में जो भी महापौर की जंग जीतेगा उसका कद गुर्जरों में भी बढ़ेगा और प्रदेश में भी, लेकिन जो भी हारेगा उसका कद जरूर घट जाएगा. 


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