UP Nikay Chunav 2023 Date: मेरठ निकाय चुनाव में बीजेपी (BJP), सपा (SP), बसपा (BSP), आरएलडी (RLD) और यहां तक कि आम आदमी पार्टी भी पूरी ताकत से चुनाव लड़ रही है, लेकिन कांग्रेस (Congress) अभी भी हाशिए पर नजर आ रही है. न कार्यकर्ता में वो गर्मजोशी है, न भीड़ ही दमदार है और नेताओं को दिग्गजों का इंतजार है. ताकि वो पार्टी कार्यकर्ताओं में कुछ जोश भर सके, लेकिन फिलहाल ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है. कांग्रेस की सबसे पतली हालत शामली में है.


निकाय चुनाव 2024 का लिटमस टेस्ट माने जा रहें हैं, इसीलिए सभी दल निकाय की रणभूमि में पूरी ताकत झोंक रहे हैं, लेकिन हाथ को मजबूत करने में कांग्रेस के पसीने छूट रहें हैं. ये हाल तो तब है जब जनवरी के पहले हफ्ते में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा पश्चिमी यूपी के तीन महत्वपूर्ण जिलों से होकर गुजरी थी. कांग्रेसियों को उम्मीद थी कि राहुल गांधी के साथ जो हजारों समर्थकों का कारवां चल रहा था वो कांग्रेस को संजीवनी दे देगा, लेकिन महज तीन महीने बाद ही उस यात्रा की ताकत कहीं नजर नहीं आ रही है.


भारत जोड़ो यात्रा का भी असर नहीं


मेरठ की बात करें तो कांग्रेस के महापौर प्रत्याशी मुट्ठीभर कार्यकर्ताओं के साथ प्रचार अभियान कर रहें हैं. अभी तक भी न तो किसी बड़े कांग्रेस नेता का कार्यक्रम लगा है और ना ही कांग्रेसियों का हुजूम नजर आ रहा है. राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा कन्याकुमारी से कश्मीर के लिए जा रही थी तो यूपी के गाजियाबाद, बागपत और शामली जिले से होते हुए हरियाणा पहुंची थी. इन तीन जिलों में उम्मीद से कहीं ज्यादा भीड़ जुटी. भव्य स्वागत भी हुए, लेकिन अब उसका खास असर नहीं दिख रहा है. निकाय चुनाव में यूपी की बात तो छोड़िए पश्चिमी यूपी के इन तीन जिलों में भी कांग्रेस की हालत खराब है. 


मेरठ नगर निगम में 90 वार्ड हैं, लेकिन कांग्रेस महज 62 सीटों पर चुनाव लड़ रही है यानि 28 सीटों पर कांग्रेस को प्रत्याशी नहीं मिले. मेरठ महापौर सीट पर भी कांग्रेस किस्मत आजम रही है. दो नगरपालिका में से सिर्फ एक पर ही कांग्रेस को प्रत्याशी मिला. 13 नगर पंचायत में भी सिर्फ नौ पर ही कांग्रेस प्रत्याशी उतारने की हिम्मत जुटा पाई. वहीं बागपत में 9 नगर निकाय हैं. तीनों नगरपालिकाओं में कांग्रेस चुनाव लड़ रही है, लेकिन 6 नगरपंचायतो में सिर्फ तीन पर ही प्रत्याशी उतार सकी.


शामली में कांग्रेस का सबसे बुरा हाल


शामली में कांग्रेस सबसे बुरे दौर में फंसी है. यहां 10 नगर निकाय हैं जिनमें तीन नगर पालिका और 7 नगर पंचायत है, लेकिन हालत इतने बुरे हैं कि कांग्रेस मात्र एक सीट कैराना नगरपालिका पर ही चुनाव लड़ रही है, जबकि 9 पर उसे प्रत्याशी ही नहीं मिले. गौर करने वाली बात ये हैं जहां कभी कांग्रेस की पूरे यूपी में हवा थी वो कांग्रेस निकाय चुनाव में कार्यकर्ताओं को तरस रही है. मेरठ में सपा इस बार महापौर सीट की हवा बदलने को पूरी ताकत से मैदान में जुटी है और पूरा लाव लश्कर लेकर चल रही है. बीजेपी के भी बड़े-बड़े मैदान में हैं, हाथी भी चाल बढ़ा रहा है और आप भी हाउस टैक्स हाफ, वाटर टैक्स माफ के मुद्दे पर मैदान में है.


मिशन 2024 नजदीक है, लेकिन निकाय चुनाव में कांग्रेसियों की मायूसी बहुत कुछ कह रही है. ज्यादातर सीटों पर कांग्रेस फाइट से ही बाहर है.अब ऐसे में जब राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का ये असर है तो मिशन 2024 तक क्या होगा इस पर कांग्रेस को मंथन और चिंतन करने की जरूरत है. 


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