UP Nikay Chunav 2023: एटा में उल्टा पड़ा बीजेपी का ये दांव! सपा-कांग्रेस नहीं, जानें- किसने बढ़ाई पार्टी की मुश्किल?
UP Nikay Chunav 2023: एटा में बसपा प्रत्याशी पूजा गुप्ता ने अपना नामांकन वापस ले लिया है, जिसके बाद दलित मतदाताओं को अपनी ओर करने की होड़ लगी है. यहां दलित मतदाताओं की संख्या 9 हजार है.
UP Nikay Chunav 2023 Date: एटा नगर पालिका में बसपा प्रत्याशी पूजा गुप्ता द्वारा अपना नामांकन वापस लेने के बाद चुनाव बेहद रोमांचक हो गया है. बसपा प्रत्याशी हटने के बाद बसपा का दलित वोट अब बीजेपी के विरोध में निर्दलीय प्रत्याशी पूर्व पालिका अध्यक्ष राकेश गांधी की पत्नी और निवर्तमान अध्यक्ष मीरा गांधी की और जाने की संभावना जताई जा रही है, जिससे बीजेपी प्रत्याशी की मुश्किलें बढ सकती हैं. माना जा रहा है बीजेपी के कहने पर ही बसपा प्रत्याशी ने नामांकन वापस लिया, ये दांव अब बीजेपी पर उल्टा पड़ता दिख रहा है.
एटा नगर पालिका परिषद चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी सुधा गुप्ता की सीधी टक्कर निर्दलीय मीरा गांधी से है. निकाय चुनाव में पिछले दो चुनावों 2012 और 2017 में निर्दलीय प्रत्याशी राकेश गांधी और मीरा गांधी ने सभी राजनैतिक दलों को मात देकर जीत दर्ज की थी. 2012 में निर्दलीय प्रत्याशी राकेश गांधी ने कांग्रेस के प्रत्याशी प्रमोद गुप्ता को लगभग 9500 मतों से हराया और 2017 में उनकी पत्नी मीरा गांधी ने बीजेपी प्रत्याशी शालिनी गुप्ता को 176 मतों से हराकर सबको चौंका दिया था.
बीजेपी का दांव पड़ा उल्टा
एटा नगर पालिका परिषद में कुल 1,11,189 मतदाता हैं जिनमे 58,965 पुरुष एवं 52,220 महिला मतदाता हैं. इस बार भी निर्दलीय प्रत्याशी मीरा गांधी मजबूत स्थिति है, और जीत की हैट्रिक बना सकतीं हैं. यहां से बसपा प्रत्याशी पूजा गुप्ता और सकीट नगर पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में सपा प्रत्याशी रियाज बानो ने अपने-अपने पर्चे वापस ले लिए हैं. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि एटा में बीजेपी द्वारा बसपा प्रत्याशी का नामांकन वापस करवाने और दो वार्डों में बीजेपी के सभासदों को निर्विरोध कराने का दांव उल्टा पड़ गया है.
निर्दलीय प्रत्याशी से बीजेपी की टक्कर
बसपा प्रत्याशी के चुनाव से बाहर होने की वजह से नाराज वोटर अब बीजेपी प्रत्याशी सुधा के विरोध में निर्दलीय प्रत्याशी मीरा गांधी को जाने की संभावना है. यहां दलित वोटरों की 9 हजार संख्या है जो काफी निर्णायक होती है. वैसे तो एटा में वैश्य मतदाता भी सर्वाधिक हैं, लेकिन पिछले चुनाव की तरह ही इस चुनाव में भी बीजेपी बनाम बीजेपी की स्थिति बनती जा रही है. बीजेपी से टिकट मांग रहे उम्मीदवारों की टिकट कटने के बाद यहां कई नेता बागी हो गए हैं और बीजेपी का विरोध कर रहे हैं. टिकट वितरण में भेदभाव का आरोप लगाकर ब्राह्मण और क्षत्रिय समाज बीजेपी से नाराज है.
एटा के लोग भी मानते हैं कि इस बार यहां बीजेपी और निर्दलीय प्रत्याशी के बीच टक्कर है. जहां कई मतदाता मीरा गांधी का समर्थन करते दिख रहे हैं तो वहीं कई मतदाता है जो बदलाव की बात कर रहे हैं. उनका मानना है कि योगी और मोदी की सरकार अच्छा काम कर रही है इसलिए मतदाता बीजेपी को वोट करेगा. देखना दिलचस्प होगा कि इस बार एटा नगर पालिका में कमल खिलेगा या एक बार फिर से निर्दलीय उम्मीदवार जीत दर्ज कर बीजेपी सहित सभी बड़े राजनीतिक दलों को धूल चटा देंगी.
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