UP Nagar Nikay Chuanv: सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी के बाद निकाय चुनाव (Nikay Chunav) का रास्ता साफ हो गया है. सरकार ने भी ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) को लेकर नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. हालांकि विपक्ष इस आरक्षण व्यवस्था से संतुष्ट नहीं है और भीम आर्मी (Bheem Army) का आरोप है कि सरकार ने 2011 की जनगणना के अनुसार जो आबादी है, उस अनुरूप आरक्षण की व्यवस्था नहीं की है. हालांकि अब किसी भी समय चुनाव की तारीख की घोषणा हो सकती है. ऐसे में चुनाव में उतरने का मन बना चुके दावेदारों के लिए जरूरी योग्यता जानना जरूरी है. आइए जानते हैं कि निकाय चुनाव के उम्मीदवारों को नामांकन भरने से पहले किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है...
अन्य चुनावों की तरह इस चुनाव में उम्र, शैक्षणिक योग्यता, आपराधिक इतिहास, जाति प्रमाण पत्र, संपत्ति, टैक्स और देनदारियों से जुड़ी जानकारी चुनाव आयोग को देनी होती है. यानी कि इन सभी का ब्यौरा हलफनामे में देना होता है. सबसे जरूरी योग्यता उम्र है. कोई भी व्यक्ति यह चुनाव तभी लड़ सकता है अगर उसकी उम्र 21 वर्ष या उससे अधिक हो. इससे कम उम्र का व्यक्ति चुनाव लड़ने के योग्य नहीं होता. यूपी के अलग-अलग जिलों में आरक्षित सीटों की सूची धीरे-धीरे जारी हो रही है. अगर कोई व्यक्ति आरक्षित सीट से लड़ने का पात्र है तो फिर से उसे अपना जाति प्रमाणपत्र दिखाना होगा.
दिवालिया व्यक्ति की उम्मीदवारी हो जाती है रद्द
अब बारी आती है टैक्स और देनदारियों की. उम्मीदवारी के लिए यह जरूरी है कि उस व्यक्ति पर नगर पालिका और नगर पंचायत का एक साल टैक्स बकाया न हो. इसके साथ ही हलफनामा दाखिल करने के दौरान टैक्स बकाए का बिल भी संलग्न करना होता है. उम्मीदवार को अपनी संपत्ति की सटीक जानकारी देनी होती है. उसे बताना होता है कि उसके पास कितनी चल और अचल संपत्ति है. इसके अलावा उसपर किसी तरह कर्ज तो नहीं है. अगर है तो कितना है यह ब्यौरा भी देना होता है. एक अन्य जरूरी बात यह भी ध्यान रखना होता है कि वह व्यक्ति किसी संस्था द्वारा दिवालिया न घोषित किया गया हो. अगर वह दिवालिया घोषित है तो फिर चुनाव नहीं लड़ सकता.
आपराधिक मामले की जानकारी देना जरूरी
चुनाव में उतरने से पहले आयोग को बताना होता है कि उसके खिलाफ कोई आपराधिक मामला तो दर्ज नहीं है. उसका पूरा ब्यौरा भी नामांकन दाखिल करने के दौरान देना होता है. अगर किसी व्यक्ति को भ्रष्टाचार के कारण नौकरी से निकाल दिया गया हो या उसके पद से हटा दिया गया हो तो फिर वह चुनाव नहीं लड़ सकता. इसके अलावा लाभ के पद पर बैठा व्यक्ति भी उम्मीदवार नहीं बन सकता. उसे चुनाव लड़ने से पहले पद त्याग करना होगा. यह व्यक्ति राज्य सरकार या केंद्र सरकार के किसी भी विभाग में कार्यरत नहीं होना चाहिए.
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