Unnao News: एक ऐसी नगर पंचायत जहां पिछले 30 वर्षों से एक ही परिवार का है कब्जा, लेकिन इस बार…
उत्तर प्रदेश में एक ऐसी नगर पंचायत है. जिसमें पिछले 30 वर्षों से एक ही परिवार का कब्जा रहा है. कोई भी इस परिवार के किले में सेंध नहीं लगा पाया है.
Unnao Nikay Chunav 2023: उन्नाव की एक ऐसी नगर पंचायत जहां पर पिछले 30 वर्षों से एक ही परिवार का कब्जा रहा है. इस नगर पंचायत पर शुक्ला परिवार ने पिछले 30 वर्षों से अपना कब्जा बरकरार रखा हुआ है. वर्ष 1989 में पहली बार के डी शुक्ला मौरावां नगर पंचायत से अध्यक्ष बने. उसके बाद से इस नगर पंचायत में शुक्ला परिवार का ही कब्जा अब तक बना हुआ है. 1989 में केडी शुक्ला उसके बाद उनकी भाभी फिर पत्नी और उसके बाद उनका छोटा पुत्र और एक बार फिर उनके बड़े पुत्र इस चुनावी मैदान में हैं.
शुक्ला परिवार का किला है मौरावां
मौरावां नगर पंचायत मे सन् 1989 के चुनाव में दिवंगत कृष्णदत्त शुक्ल उर्फ भगोले महराज को जनता ने विजय दिलाकर नगर पंचायत की जिम्मेदारी सौपीं थी. उस जीत के बाद दिवंगत शुक्ल ने मौरावां को मजबूत दुर्ग बनाया था. उसके बाद होने वाले हर चुनाव मे दुर्ग की मजबूत किलेबंदी को ढहाने के लिए सामने लड़े प्रत्याशियों ने भरसक प्रयास किया. लेकिन कोई भी दुर्ग की मजबूत दीवारों को दरका नहीं सका. तब से लेकर केडी शुक्ला परिवार का ही नगर पंचायत पर कब्जा है. खास बात यह है कि इन 30 वर्षों के बीच यह सीट कभी एससी या ओबीसी के लिए आरक्षित नहीं हुई. सामान्य सीट में महिला के लिए आरक्षित होने पर भगोले महराज की दिवंगत भाभी चंद्रकली और पत्नी सियावती अध्यक्ष चुनी गईं.
राजा के प्रपौत्र से है इस बार टक्कर
वर्तमान चुनाव में सीट फिर सामान्य है. इस चुनावी रणक्षेत्र में निर्दलीय पूर्व अध्यक्ष नवनीत शुक्ला के सामने कुवर विवेक नारायण सेठ ने ताल ठोंकी है. विवेक सेठ मौरावां के तालुकदार रहे राजा शंकर सहाय के प्रपौत्र हैं. बर्तानिया हुकूमत के दौरान राजा शंकर सहाय की रियासत उन्नाव रायबरेली फतेहपुर तक थी. राज घराने से होने के चलते विवेक सेठ का भी मौरावां मे वर्चस्व है. चुनाव में सेठ को सत्तापक्ष का भी समर्थन प्राप्त है. नवनीत शुक्ल अपने परिवार द्वारा कराए गए विकास कार्यों का हवाला देकर जनमत जुटा रहे हैं. वहीं, विवेक सेठ परिवर्तन का नारा देकर मौरावां को और ऊंचाई पर ले जाने की बात कह मतदाताओं से समर्थन मांग रहे हैं. अब देखना दिलचस्प होगा कि जनता किसे नगर पंचायत की बागडोर सौंपती है.