UP Nagar Nikay Chunav 2023: मेरठ (Meerut) के सियासी रण में हर रोज मुकाबला बेहद दिलचस्प होता रहा है. सीएम योगी (Yogi Adityanath) की जनसभा के बाद अब मेरठ की रणभूमि में बसपा (BSP) के कद्दावर नेता इमरान मसूद (Imran Masood) की एंट्री होने वाली है. इमरान की एंट्री से सपा (SP) और बीजेपी में बेचैनी है. बसपा सुप्रीमो मायावती (Mayawati) के इस दांव से सपा-भाजपा को डर सता रहा है कि कहीं 2017 की तरह बसपा यहां फिर से बाजी ना मारकर ले जाएं और उनके अरमानों पर पानी न फिर जाए. 


मेरठ में सीएम योगी के दौरे के बाद अब बसपा ने भी मेरठ महापौर सीट पर जीत हासिल करने को बड़ा दांव चल दिया है. मेरठ का मोर्चा संभालने की जिम्मेदारी पश्चिमी यूपी प्रभारी इमरान मसूद को दे दी गई. इमरान 7 मई से मेरठ में डेरा डालेंगे और बीएसपी प्रत्याशी हशमत मलिक के पक्ष में माहौल बनाएंगे. बसपा के इस दांव से सपा और भाजपा की टेंशन बढ़ गई है. 


इमरान मसूद पर मेरठ की जिम्मेदारी


ये बात किसी से छिपी नहीं है इमरान मसूद की मुस्लिमों में बड़ी मजबूत पकड़ मानी जाती है, शायद इसीलिए इमरान मसूद मेरठ के मुस्लिमों को बसपा के मंच पर लाने की हर कोशिश करेंगे और दलित पिछड़ों को साथ जोड़कर हाथी को नगर निगम पहुंचाने को हर दांव चलेंगे. इमरान मसूद के निशाने पर हमेशा ही सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव रहते हैं, उनका ये कहना की मुस्लिम लीडरशिप को अखिलेश खत्म करने में जुटे हैं और बीजेपी के हाथ में खेल रहे हैं. उनके इरादे जताने के लिए काफी है. 


इमरान की मेरठ में एंट्री से भाजपा और सपा टेंशन के क्यों हैं? तो इस बात को समझिए दरअसल, मेरठ महापौर सीट पर मुस्लिम और एससी समीकरण के सहारे बीएसपी तीन बार मेयर सीट पर जीत दर्ज कर चुकी है, जबकि भाजपा को दो बार ही सफलता मिली. अखिलेश यादव ने यहां गुर्जर कार्ड खेलकर गुर्जर, मुस्लिम, एससी और जाट समीकरण बैठाया और सपा विधायक अतुल प्रधान की पत्नी सीमा प्रधान को प्रत्याशी बनाया, जबकि भाजपा ने पूर्व मेयर और पंजाबी बिरादरी के हरिकांत अहलूवालिया पर दांव चला, जबकि बसपा ने कैडर से जुड़े हशमत मलिक को प्रत्याशी बनाया है. हालांकि सपा फिलहाल इस बात से इनकार कर रही है कि इमरान के आने से उन पर कोई असर पड़ेगा. 


सपा विधायक अतुल प्रधान ने मुस्लिम इलाकों में संकल्प पदयात्रा निकालकर अपनी ताकत का अहसास कराया था और भारी भीड़ जुटाकर बड़ा संदेश दिया था, जबकि बसपा प्रत्याशी हशमत मलिक ने भी इसके जवाब में बहुजन पदयात्रा उसी इलाके में निकालकर सपा को चुनौती दे डाली. बसपा की पदयात्रा में उमड़ी भीड़ भी चर्चा का विषय बनी है. हालांकि बीजेपी ने सीएम योगी की जनसभा कर मेरठ की हवा बदलने की पूरी कोशिश ही कर डाली. अब हर रोज बदलते इस माहौल में इमरान मसूद की एंट्री सपा भाजपा का खेल बिगाड़ सकती है. बीजेपी की टेंशन बढ़ना लाजिमी है क्योंकि वो तीन बार यहां पर शिकस्त खा चुकी है.


मेरठ की महापौर सीट पर अब तक बीएसपी और बीजेपी का कब्जा रहा है, लेकिन इस बार सपा भी तेजी से साइकिल दौड़ा रही है कि पुरानी कहानी को बदला जा सके, लेकिन ये कहानी बदलना इतना आसान भी नहीं है. मेरठ की महापौर सीट पर न तो चुनौती कम हैं और न यहां के चक्रव्यूह को तोड़ना इतना आसान है. अब बसपा अपने पुराने इतिहास को फिर दोहराना चाहती है तो बीजेपी भी बड़े बदलाव की उम्मीद लगाए बैठी है और सपा नया इतिहास लिखना चाहती है, ऐसे में इमरान मसूद की मेरठ में एंट्री होने के बाद सियासी घमासान भी बढ़ेगा और यहां पर मुकाबला अब त्रिकोणीय हो चला है. 


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