UP Nagar Nikay Chunav 2023: यूपी (UP) के बस्ती (Basti) जनपद में निकाय चुनाव को लेकर सभी पार्टियां पूरे दम खम के साथ चुनाव मैदान में कूद पड़े हैं. एक नगर पालिका और 9 नगर पंचायत की सीट पर दिलचस्प लड़ाई देखने को मिल रही है. नगर पालिका अध्यक्ष और सभासदों के कुछ प्रत्याशी ऐसे भी हैं जो अपनी ही पार्टी के लिए सिरदर्द पैदा कर रहे हं. समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के एक दो नहीं बल्कि 8 ऐसे पुराने नेता और कार्यकर्ता हैं जो अब सपा के खिलाफ ही चुनाव लड़ रहे हैं.
बस्ती नगर पालिका में सपा के लिए इस बार चुनाव जीत पाना आसान नहीं है. सपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं में असंतोष काफी देखने को मिल रहा है, जो अपनी ही पार्टी के कैंडिडेट के खिलाफ निर्दल या किसी अन्य दल से चुनाव लड़ रहे हैं. स्थानीय सपा विधायक को लेकर नाराज सपाइयों में काफी गुस्सा है. जो टिकट ना मिलने का सारा ठीकरा सदर के सपा विधायक और जिला अध्यक्ष महेंद्र यादव के ऊपर ठोक रहे हैं. आइए आपको बताते हैं नगर पालिका और वार्ड मेंबरों के किन प्रत्याशियों ने सपा से बागी होकर चुनाव लड़ रहे है.
मोहम्मद समीर मांग रहे टिकट थे
नगर पालिका अध्यक्ष पद के दावेदार रहे सपा के 40 साल पुराने कार्यकर्ता और नेता सिद्धेश सिन्हा को टिकट नहीं मिला तो वे आम आदमी पार्टी से बगावत का बिगुल फूंक दिया है. इसके बाद वार्ड नंबर 21 से सपा के 22 साल पुराने कार्यकर्ता मोहम्मद अकरम टिकट मांग रहे थे, जब नहीं मिला तो वे कांग्रेस का दामन थाम लिए और सपा के खिलाफ बगावत कर दिया. इसके बाद वार्ड नंबर 25 से मोहम्मद शाहिद अपनी पत्नी के लिए सभासद का टिकट मांग रहे थे, मगर अंत समय में उनके साथ भी धोखा हो गया तो वे निर्दल कैंडिडेट के रूप ही चुनाव में कूद पड़े है. वही वार्ड नंबर 10 से अब्दुल मोईन सपा के 30 साफ पुराने कार्यकर्ता है और कई बार वे सभासद भी रह चुके है, इसके अलावा वे सपा के नगर अध्यक्ष भी है बावजूद उनका टिकट काट दिया गया, तो वे भी बागी हो गए और सपा के खिलाफ चुनाव लड़ रहे है. वही मोहम्मद समीर खान वार्ड 18 से सभासद का टिकट मांग रहे थे, 15 साल से सपा में राजनीति की, छात्र सभा के जिला उपाध्यक्ष भी है, जब सपा से नहीं मिला तो निर्दल ही बगावती तेवर के साथ चुनाव लड़ रहे.
समाजवादी पार्टी के सदर विधानसभा सीट से विधायक और जिला अध्यक्ष महेंद्र नाथ यादव से जब बागी नेताओं के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने बताया कि कोई बागी नहीं हुआ है, सब हमारे साथ है, जो बागी हुए भी है वो दूसरे दल को फायदा पहुंचाना चाह रहे है. ये चुनाव सपा बड़े स्तर पर जितने जा रही है, हर जगह सपा की लहर है, पिछले सालो में शहरों में कोई विकास नहीं हुआ है, जनता परेशान है, इसलिए अब जनता बदलाव के मूड में है और सपा को उनका समर्थन भी मिल रहा. वैसे समाजवादी पार्टी के बागी सपा का खेल जरूर बिगाड़ देंगे मगर इन वादियों में कितना दम है यह तो आने वाले 13 मई को ईवीएम मशीन खुलने के बाद साफ होगा मगर इतना जरूर है कि सपा के बागी सपा के उम्मीदवारों को चित करने में एक बड़ी भूमिका निभा सकते हैं.
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