UP Nikay Chunav 2023: यूपी निकाय चुनाव में सभी दलों ने मुस्लिमों को जमकर दिया टिकट, BJP ने भी चौंकाया, जानें- क्या मजबूरी है?
UP Nagar Nikay Chunav: बीजेपी ने निकाय चुनाव में 391 मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं. इनमें 5 नगर पालिका परिषद और 35 नगर पंचायतों के अध्यक्ष प्रत्याशियों के अलावा नगर निगमों के पार्षद प्रत्याशी शामिल हैं.
UP Nagar Nikay Chunav 2023: लोकसभा चुनाव के पहले यूपी में हो रहा निकाय चुनाव (UP Nikay Chunav 2023) कई मायनों में खास बनता जा रहा है. पहली बार सभी दलों ने मुस्लिमों को भरपूर मात्रा में टिकट दिए हैं. खास तौर पर, बीजेपी ने भी इस बार मुस्लिम उम्मीदवारों पर भरोसा जताया है. राजनीतिक जानकारों की मानें तो सत्तारूढ़ बीजेपी (BJP) लगातार नए प्रयोग करती रहती है, जिससे उसको चुनावी सफलता मिल सके. यही वजह है कि मुस्लिमों को अब तक टिकट देने से परहेज करने वाली बीजेपी ने निकाय चुनाव में पहली बार बड़ी संख्या में मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं. लेकिन, उनका यह दांव कितना सफल होगा, यह तो नतीजे ही बताएंगे.
बीजेपी से मिली जानकारी के अनुसार, निकाय चुनाव में 391 मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं. इनमें 5 नगर पालिका परिषद और 35 नगर पंचायतों के अध्यक्ष प्रत्याशियों के अलावा नगर निगमों के पार्षद प्रत्याशी शामिल हैं. जिसमें दो पार्षद उम्मीदवार लखनऊ, 21 मेरठ, 13 सहारनपुर और तीन बनारस में है. जानकार बताते हैं कि बीजेपी ने इस चुनाव में ज्यादा से ज्यादा निकायों को जीतने का लक्ष्य रखा है. इसी कारण उसने अपनी इस थ्योरी का इस्तेमाल किया है. उसने मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में मुसलमान उम्मीदवारों पर भरोसा जताया है.
बसपा ने भी निकाय चुनाव में मुस्लिमों पर बड़ा दांव खेला है. इन्होंने पहली बार 65 फीसद उम्मीदवार सिर्फ इस समुदाय से ही उतारे हैं. बसपा ने मेयर पद के लिए 17 में 11 उम्मीदवार मुस्लिम उतारे हैं. जबकि सपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने 4-4 मेयर सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशियों पर भरोसा जताया है. राजनीतिक जानकारों की मानें तो पार्टी ने जिन निकायों और वार्डों में मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं, उनमें या तो वह कभी जीती नहीं या उनमें चुनाव लड़े नहीं. इन लोगों ने मुस्लिम उम्मीदवारों पर भरोसा जताकर अल्पसंख्यक समुदाय के बड़े वोट बैंक में सेंध लगाने का तानाबाना बुना है. साथ ही यह संदेश दिया है कि वह इनको अपने से दूर नहीं मानते हैं.
मुस्लिम हमारी पार्टी से जुड़ रहा है- दानिश आजाद अंसारी
बीजेपी के अल्पसंख्यक राज्य मंत्री दानिश आजाद अंसारी का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की विकास वाली राजनीति पर भरोसा कर मुस्लिम हमारी पार्टी से जुड़ रहा है. हमारी पार्टी ने कभी वोट बैंक की राजनीति नहीं की है. देश में अगर कोई पार्टी है जो मुस्लिम को आगे बढ़ाना चाहती है तो वह सिर्फ बीजेपी है. हमारी पार्टी इस समाज का उत्थान चाहती है. निकाय चुनाव में बीजेपी ने बड़ी संख्या में टिकट दिया है. यह जीतकर डबल इंजन सरकार के साथ काम करेंगे और सभी को आगे बढ़ाएंगे.
बीजेपी की निकाय चुनाव में जमीन खिसकने वाली है- समाजवादी पार्टी
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता डॉक्टर आशुतोष वर्मा बीजेपी के मुस्लिम उम्मीदवारों पर कहते हैं कि बीजेपी इस चीज को समझ चुकी है कि इस देश में एक ऐसी आबादी है जिसको आप गाली देकर कुछ समय के लिए सत्ता तो पा सकते हैं लेकिन देश का भला नहीं कर सकते. बीजेपी पर अल्पसंख्यक विरोधी होने के आरोप लगते रहे हैं. चूंकि अब बीजेपी को पता चल चुका है उसकी निकाय चुनाव में जमीन खिसकने वाली है तो वह ऐसे काम कर रही है. लेकिन मुस्लिम समाज अपने अपमान को भूला नहीं है. वो जानता है उसके पक्ष में सपा संसद से लेकर सड़क तक की लड़ाई लड़ती है.
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक रतनमणि लाल कहते हैं कि 2012 से लेकर अब तक बीजेपी ने मुस्लिम समुदाय को अपने कैंपेन से दूर रखा है. लेकिन पिछले दो तीन सालों में धीरे धीरे आरएसएस और बीजेपी की तरफ से इनके प्रति सॉफ्ट कॉर्नर दिख रहा है. बीजेपी के अंदर यह धारणा बनी है कि अब इनको हम अलग नहीं रख सकते हैं. अब उन्हे साथ लेकर चल रहे हैं. इसकी शुरूआत पसमांदा से हुई है. इसके बाद अन्य वर्ग को भी जोड़ेंगे. इसका प्रमाण 2024 में देखने को मिलेगा.
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बीजेपी ने पसमांदा मुस्लिम को ध्यान में रखकर टिकट बांटे हैं
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक और मुस्लिम सियासत के जानकार हुसैन अफसर कहते हैं कि लोकतंत्र में सभी पार्टी चाहती हैं कि उसे हर वर्ग का वोट मिले. इसीलिए बीजेपी ने यह कदम उठाया है. बीजेपी ने पसमांदा मुस्लिम को ध्यान में रखकर टिकट बांटे हैं. दरअसल, निकाय चुनाव के माध्यम से वह लोकसभा के पहले टेस्ट करना चाहती है. बीजेपी का कुछ फीसद वोट बढ़ेगा. इस समुदाय को खुश करने का प्रयास कर रही है. यह लोग कई जगह वोट काटेंगे. बसपा और बीजेपी से मुस्लिम अभी सशंकित रहते हैं. अभी विश्वास जमाने की जरूरत है. मुस्लिम वोट बंटा रहता है. एक बड़ा वर्ग किसी के साथ चला जाता है. इतनी बड़ी तादात को कोई भी इग्नोर नहीं कर सकता. इसीलिए यह लोग सबको साथ लेकर चलने का संदेश देने का प्रयास कर रहे हैं.