UP Nikay Chunav 2023: समाजवादी पार्टी में टिकट को लेकर मचा घमासान, बस्ती में कई नेताओं ने छोड़ी पार्टी
UP Nikay Chunav: उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव के लिए टिकट को लेकर समाजवादी पार्टी में घमासान मचा हुआ है. दूसरे दलों से आए नेताओं को टिकट देने के चलते पार्टी में विद्रोह की स्थिति आ गई है.
UP Nagar Nikay Chunav 2023: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में निकाय चुनाव (Nikay Chunav) की घोषणा होते ही जहां पर चुनावी सरगर्मियां बढ़ गई हैं. चुनावी टिकट को लेकर हर पार्टी में घमासान मचा हुआ है. चुनाव शुरू होते ही जैसे ही टिकट वितरण होता है, वैसे ही हर पार्टी में आया राम गया राम की कहानी शुरू हो जाती है. इसके चलते पार्टियों में आंतरिक विद्रोह शुरू हो जाता है. उत्तर प्रदेश के बस्ती (Basti) जिले में भी समाजवादी पार्टी में आंतरिक घमासान मचा हुआ है.
यहां पार्टी के ऐसे नेता हैं जो कि लगातार 20 या 40 सालों से पार्टी का झंडा धो रहे हैं, लेकिन दूसरे दलों से आए दलबदलू नेताओं को पार्टी में मिल रही तवज्जो और उनको टिकट देने के चलते पार्टी में विद्रोह की स्थिति आ गई है. इसे लेकर समाजवादी पार्टी का पुराना कुनबा अब खुलकर विद्रोह के मूड में आ गया है. अभी कुछ दिन पहले समाजवादी पार्टी के पूर्व जिला उपाध्यक्ष सिद्धेश सिन्हा ने टिकट ना मिलने के चलते पार्टी से विद्रोह कर लिया. इतना ही नहीं निर्दलीय के रूप में नामांकन पत्र दाखिल कर दिया.
अतीक अहमद हत्याकांड: आरोपी अरुण के परिवार में सबका एक जनवरी को जन्मदिन, राशन कार्ड से हुआ खुलासा
कई पूराने नेताओं ने विद्रोह का बिगुल फूंका
वहीं शुक्रवार को हरैया नगर पंचायत सीट से सपा के टिकट पर 15 सालों से चेयरमैन रहे राजेंद्र प्रसाद उर्फ राजू गुप्ता का टिकट पार्टी ने काट दिया. इससे नाराज होकर उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया. आपको बता दें कि इससे पहले सपा मंडल के चुनाव प्रभारी और पूर्व कैबिनेट मंत्री राम प्रसाद चौधरी ने जैसे ही टिकट की घोषणा की वैसे ही समाजवादी पार्टी के पुराने नेताओं ने विद्रोह का बिगुल फूंक दिया. इसी कड़ी में शुक्रवार को राजेंद्र प्रसाद उर्फ राजू ने पार्टी छोड़ दी. साथ ही उन्होंने सपा पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि पार्टी अपनी नीतियों से भटक गई है. इस चुनाव में जनता इनको सबक सिखाएगी.
फिलहाल पार्टी छोड़ने के बाद राजेंद्र प्रसाद ने निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है. वह समाजवादी पार्टी के नए उम्मीदवार से दो-दो हाथ करने के लिए चुनावी मैदान में एक बार फिर से आ गए हैं, लेकिन समाजवादी पार्टी की आंतरिक कलह देखकर यही लगता है कि कहीं ये आंतरिक कलह इस चुनाव में समाजवादी पार्टी की नइया न डूबा दे.