UP Nikay Chunav 2023: 70 साल पुरानी महोबा नगर पालिका परिषद की सदर सीट पर SP-BSP ने चला दांव, अब नहीं खुला खाता
UP Nagar Nikay Chunav: 70 साल से आज तक न तो सपा की साइकिल की चल पाई और न ही बीएसपी का हाथी आगे निकल पाया. इस बार का चुनाव जीतने के लिए दोनों पार्टियों ने खास रणनीति बनाई है.
UP Nagar Nikay Chunav 2023: बुंदेलखंड के महोबा में निकाय चुनाव का घमासान तेज है. 70 साल पुरानी महोबा नगरपालिका में आज तक समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का खाता तक नहीं खुल सका है. नगरपालिका क्षेत्र में जलभराव, पेयजल संकट, गंदगी के अंबार और बजबजाती नालियां बड़ी समस्याएं हैं. इस बार चुनाव में उतरी समाजवादी पार्टी और बीएसपी ने जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए प्रत्याशी उतारे हैं. दोनों ही दलों ने मुस्लिम प्रत्याशी पर दांव खेला है. 25 वार्ड की नगर पालिका का उदय सन 1953 में हुआ था. वीर आल्हा उदल की नगरी महोबा में चुनावी रण शबाब पर है. पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित सीट पर सपा और बसपा ने जातीय समीकरण को ध्यान में रखा है.
73763 वोटर्स 12 प्रत्शाशियों की किस्मत का करेंगे फैसला
चुनावी मैदान में 12 प्रत्याशी किस्मत आजमा रहे हैं. 73763 मतदाता दूसरे चरण में 11 मई को वोट करेंगे. महोबा नगर पालिका में मुस्लिम मतदाताओं की बड़ी तादाद है. सपा ने पूर्व जिला अध्यक्ष बाबू मंसूरी को मैदान में उतारा है. बीएसपी ने समद राइन पर दांव लगाया है. दोनों ही दलों के लिए चुनाव बड़ा महत्वपूर्ण है. राजनीतिक विश्लेषक एचके पोद्दार और भगवानदीन भी बताते हैं कि चुनाव लड़ने की शुरुआत से दोनों ही दलों को कभी जीत नहीं मिल सकी. यही वजह है कि इस सीट पर खाता खोलने के लिए सरसंभव प्रयास दोनों ही दल कर रहे हैं मगर सत्ता पक्ष भी इस ओर कमजोर नहीं है.
जातीय समीकरण से क्या सपा- बसपा का खुलेगा खाता?
आपको बता दें कि महोबा नगर पालिका परिषद की सदर सीट पर अभी तक बीजेपी औैर कांग्रेस का कब्जा रहा है. जातीय समीकरण देख अखिलेश यादव ने नए चेहरे बाबू मंसूरी पर दांव लगाया है. महोबा जिले में नगर निकाय की पांच सीटें हैं. महोबा औैर चरखारी नगर पालिका की सीटों पर बीजेपी, सपा और कांग्रेस समेत अन्य प्रमुख दलों की निगाहें रहती हैं. इस बार महोबा नगर पालिका परिषद की सदर सीट पिछड़े वर्ग के लिए रिजर्व है. चरखारी नगर पालिका परिषद के चेयरमैन की कुर्सी पिछड़ी जाति की महिला के लिए आरक्षित है. नगर पंचायत कबरई की सीट पिछड़ी जाति महिला के लिए रिजर्व हुई है. नगर पंचायत खरेला की सीट भी इस बार पिछड़ी जाति की महिला के लिए आरक्षित है.
जिले की पांच निकायों में सिर्फ नगर पंचायत कुलपहाड़ की सीट ही अनारक्षित है. महोबा नगर पालिका परिषद की सदर सीट पर ज्यादातर निर्दलीय लोग ही चुने गए हैं. वर्ष 1988 के चुनाव में प्रमुख दलों से प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे थे, लेकिन सतीश चंद्र सक्सेना बतौर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में सीट जीत ली. वर्ष 1995 में निर्दलीय प्रत्याशी मुन्नी देवी सदर सीट के लिए चुनी गई. वर्ष 2000 में राजकुमारी ने निर्दलीय रूप से जीत का परचम फहराया था. वर्ष 2006 में सदर की सीट कांग्रेस के कब्जे में आई थी. 2012 में पुष्पा अनुरागी ने बीजेपी का कमल खिलाया था. वर्ष 2017 के चुनाव में निर्दलीय दिलाशा तिवारी निर्वाचित हुई थी. महोबा नगर पालिका परिषद की सदर सीट पर बीजेपी और कांग्रेस एक-एक बार जीत का परचम फहरा चुकी हैं. लेकिन इस सीट पर सर्वाधिक निर्दलीय लोग ही चुने गए हैं.
वर्ष 1988 में निर्दलीय प्रत्याशी चेयरमैन बना था. वर्ष 1995 में महिला ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीत का परचम फहराया था. वर्ष 2006 के चुनाव में भी महिला को चेयरमैन पद की कुर्सी मिलीनी थी. निर्दलीय रूप से चुनाव मैदान में आकर अन्य दलों के समीकरण फेल कर दिए थे. वर्ष 2017 में भी इस सीट पर महिला ने निर्दलीय रूप से चुनाव लड़ते हुए कब्जा किया. सीट 2006 में कांग्रेस और 2012 में बीजेपी के कब्जे में रही. लेकिन इस बार दोनों ही दलों के नेता अपनी अपनी जीत का दावा भी कर रहे हैं.
सपा जिला अध्यक्ष शोभालाल यादव, सपा नेता सतोष साहू, खुद सपा प्रत्याशी बाबू मंसूरी ने सपा सरकार में कराये गये विकास कार्यों के दम पर जीतने का दावा किया है. बीएसपी खुद को मजबूत बताती है. बीजेपी के पूर्व मंडल कोर्डिनेटर राजेंद्र सोलंकी की माने तो बीएसपी का प्रत्याशी पिछली बार निकाय चुनाव में दूसरे नंबर पर रहा था और अबकी बार जीत पक्की है. उनका कहना है कि बूथ स्तर पर कार्यकर्ता दिन रात प्रचार प्रसार कर बहनजी के विकास कार्यों को बताएं.
UP Nikay Chunav: CM योगी की संत कबीर नगर में जनसभा, कहा- 'ट्रिपल इंजन की सरकार बनाना जरूरी'