UP Politics News: यूपी निकाय चुनाव के मामले में सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद उत्तर प्रदेश राज्य स्थानीय निकाय समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग ने अपने काम की रफ्तार बढ़ा दी है. आयोग 31 दिसंबर से अब तक, डे टू डे बेसिस पर कई दौर की बैठक कर चुका है. एक तरफ इसे लेकर मंथन हो रहा है कि ओबीसी के लिए सर्वे का काम कैसे किया जाए, तो दूसरी तरफ सदस्यों ने कुछ जिलों में डीएम से संपर्क करना भी शुरू कर दिया है. आयोग इस लक्ष्य के साथ काम मे लगा है कि 31 मार्च से पहले रिपोर्ट शासन को सौंप दी जाए.


इस मामले में ताजा अपडेट यह है कि जिलों में डीएम से बात कर वार्डवार डेटा जुटाने की कोशिश की जा रही है. इस बात का भी पता लगाया जा रहा है कि किस कैटेगरी के कितने लोग कहां पर रहते हैं.


1990 के बाद के आंकड़ों को खंगालने पर जोर 
इसके अलावा, ओबीसी समुदाय के लोगों को अभी तक पॉलिटिकल रिप्रजेंटेशन कितना मिला? डीएम से ये भी पूछा गया है कि 1995 से अब तक वार्ड वाइज कितने लोग ओबीसी समुदाय से चुनकर आये.यह भी देखा जाएगा कि चरणबद्ध तरीके से इनका रिप्रजेंटेशन कितना हुआ. लोकल बॉडी में कितनी सहभागिता मिली. इसके लिए आयोग विभिन्न सोर्स जैसे अलग-अलग आयोग की जो रिपोर्ट उपलब्ध हैं से भी डेटा निकालने की तैयारी में है. खासतौर से 1990 के बाद से जो रिपोर्ट्स हैं उन पर जोर दिया जा रहा है. 


सही आंकड़े कम समय में जुटाना टफ वर्क 
हालांकि, आयोग के सदस्य भी मानते हैं कि ये टास्क बहुत आसान नहीं है. ये काफी टेक्निकल काम है. ऐसे में आयोग के जो दो सदस्य रिटायर्ड आईएएस हैं, उनकी भूमिका भी काफी बढ़ गई है. वहीं आयोग के अध्यक्ष समेत न्यायपालिका के तीन सदस्यों को भी बारीकी से हर पहलू को देखने को कहा गया है.ऐसे में ओवरटाइम काम कर रिपोर्ट को समय पर तैयार करने कहा गया है. सर्वे के काम में सबसे ज्यादा टफ वर्क फिगर्स या डेटा कम्पाइलेशन करना, उसका सोशल एनालिसिस करना व अन्य काम शामिल हैं. 


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