UP Nikay Chunav: यूपी में OBC वोटर्स की कितनी अहमियत? यहां समझें सियासी जोड़-घटाव का पूरा गणित
निकाय चुनाव को बिना ओबीसी आरक्षण आयोजित कराने के हाईकोर्ट के निर्णय पर विपक्षी हमलावर है तो वहीं सत्तारूढ़ पार्टी के पिछड़े वर्ग के नेता बारी-बारी से सरकार का बचाव कर रहे हैं.
UP News: निकाय चुनाव (Nikay Chunav) को लेकर हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद सभी विपक्षी दल बीजेपी (BJP) पर हमलावर होकर खुद को ओबीसी वर्ग (OBC Community) का सबसे बड़ा हिमायती साबित करने में लगे हैं. वहीं बीजेपी विपक्षी दलों के इन तीरों से बचने की कोशिश करते हुए ओबीसी समाज को यह बताने में लगी है वह पहले भी ओबीसी के साथ थी और अब भी है, विपक्षी सिर्फ गुमराह करने की कोशिश कर रहें. असल में सभी दलों को ओबीसी वोटर की जरूरत है क्योंकि इनके साथ बिना सरकार बनाना मुश्किल है.
उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहां पिछड़े वर्ग की आबादी लगभग 52 से 55 फ़ीसदी के बीच है. अगर इसे विधानसभा के लिहाज से देखें तो प्रत्येक जिले में दो से तीन विधानसभा सीट ऐसी हैं जहां पिछड़े निर्णायक भूमिका में है. हर राजनीतिक दल भी पिछड़ों की अहमियत को अच्छे से समझते है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी पिछड़े वर्ग से ही आते हैं. इससे पहले भी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह कुर्मी बिरादरी से हैं. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य भी इसी वर्ग से हैं. योगी सरकार 2.0 की बात करें तो लगभग 20 मंत्री पिछड़े वर्ग से हैं.
बीजेपी और ओबीसी उम्मीदवारों की जीत का आंकड़ा
2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने पिछड़े वर्ग के 137 प्रत्याशियों को टिकट दिया था जिसमें से 89 जीते भी. इसी तरह 2017 में भी बीजेपी से 132 ओबीसी प्रत्याशी लड़े थे जिसमें 104 जीते. समाजवादी पार्टी की बात करें तो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल मुख्य चेहरे हैं. 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा के 60 विधायक इसी वर्ग से आए हैं. वैसे तो दलितों को बसपा का कोर वोटर कहा जाता है, लेकिन बसपा भी ओबीसी की ताकत को अच्छे से जानती है. बसपा के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल पिछड़े वर्ग से ही आते हैं. इससे पहले बसपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे भीम राजभर भी पिछड़े वर्ग से रहे.
बीजेपी को पिछड़ा विरोधी साबित करने की सपा की यह रणनीति
सपा अब 'संविधान बचाओ, आरक्षण बचाओ' यात्रा निकालकर घर-घर जाकर बीजेपी को पिछड़ा विरोधी साबित करने की तैयारी में है. निकाय चुनाव मामले में सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने कहा सपा जो बीजेपी पर पिछड़ा विरोधी होने का आरोप लगाती है. वह कोर्ट के फैसले से पूरी तरह साबित हो गया. अगर पहले ही आयोग का गठन करके, ट्रिपल टेस्ट कराते तो यह नौबत नहीं आती, समय पर चुनाव होते. आज बीजेपी ने सब को गुमराह कर दिया, उनकी नियत में खोट है. सपा इस संदेश को लोगों तक पहुंचाएगी. उन्होंने कहा जल्द ही राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से सलाह करके आगे की रणनीति बनाकर काम करेंगे. 2024 का चुनाव आने दीजिए, जनता बहुत परेशान है. किसान, नौजवान, मजदूर, दुकानदार सभी वर्ग परेशान हैं. इनके खिलाफ परिणाम आने वाला है.
सत्ता में लाने में पिछड़े वर्ग की बड़ी भूमिका - धर्मवीर प्रजापति
वहीं सपा के आरोपों पर पलटवार करते हुए मंत्री धर्मवीर प्रजापति ने कहा, 'सपा हमें पिछड़ा वर्ग विरोधी बता रही, यह उनकी हताशा है. अगर हम पिछड़ा विरोधी होते तो यूपी की जनता हमें दोबारा सत्ता में नहीं लाती. हमे सत्ता में लाने में पिछड़े वर्ग की बड़ी भूमिका है. कोर्ट के फैसले पर हमारा शीर्ष नेतृत्व विधि विशेषज्ञों से राय ले रहा कि क्या कर सकते हैं. हम पिछड़ों, एससी, एसटी, सामान्य सबके साथ थे और रहेंगे. हमें सब का आशीर्वाद मिला है. सभी हमारी प्राथमिकता में हैं. विधानसभा चुनाव से पहले भी अखिलेश यादव रथयात्रा लेकर चले थे लेकिन उत्तर प्रदेश की जनता ने हमें आशीर्वाद दिया.' धर्मवीर प्रजापति ने कहा कि वह भी पिछड़े वर्ग से आते हैं. पार्टी ने उन्हें चुनाव नहीं लड़ाया लेकिन मंत्री बनाया फिर एमएलसी बनाया जबकि वो बहुत सामान्य परिवार से हैं.
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