UP Nikay Chunav: यूपी नगर निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ बेंच के फैसले को यूपी सरकार चुनौती दे सकती है. दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कहा कि राज्य में इस बार निकाय चुनाव बिना ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) के होगा.


इस फैसले पर यूपी के कई दिग्गज नेताओं ने अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दी है. प्रसपा प्रमुख शिवपाल यादव ने ट्वीट कर लिखा, 'उत्तर प्रदेश निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण की समाप्ति का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है. सामाजिक न्याय की लड़ाई को इतनी आसानी से कमजोर होने नहीं दिया जा सकता है. आरक्षण पाने के लिए जितना बड़ा आंदोलन करना पड़ा था, उससे बड़ा आंदोलन इसे बचाने के लिए करना पड़ेगा. कार्यकर्ता तैयार रहें.'



इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दिए आदेश


कोर्ट ने अपने फैसले में सरकार को तुरंत चुनाव कराने का निर्देश दिया है. हालांकि कोर्ट ने एससी और एसटी आरक्षक के साथ चुनाव कराने की बात कही है. कोर्ट के इस फैसले के बाद अब ओबीसी आरक्षण वाली सभी सीटें सामान्य होंगी. अब कोर्ट के इस फैसले के बाद संभावना है कि जनवरी में चुनाव हो सकता है. हालांकि अगर राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट नहीं जाती है, तब ही ऐसा संभव होगा.


क्या है मामला?


दरअसल, उत्तर प्रदेश सरकार ने स्थानीय निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को आरक्षण देने को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ में अपना जवाब दाखिल किया था. सरकार ने अदालत को बताया कि इस चुनाव में ओबीसी आरक्षण लागू करने के लिए सरकार की ओर से अपनाई गई व्यवस्था उतनी ही अच्छी है जितनी सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुझाया गया ‘ट्रिपल टेस्ट फार्मूला’ है. 


सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित ‘ट्रिपल टेस्ट फार्मूला’ में राज्यों के लिए यह आवश्यक किया गया है कि वे एक आयोग गठित कर समुदाय के आंकड़े एकत्रित करे और स्थानीय निकाय में उन्हें दिया गया आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक न हो. सरकार के हलफनामे के बाद मामले के कुछ याचिकाकर्ताओं ने भी अदालत में अपने जवाब दाखिल किए. इस बीच, इसी मुद्दे पर कुछ और याचिकाएं इस अदालत में दायर की गईं और अदालत ने उन्हें वैभव पांडेय की याचिका के साथ नत्थी कर दिया.


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