लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार की 'वन डिस्ट्रिक वन प्रोडक्ट' योजना (ओडीओपी) को प्रदेश के तकनीकी और प्रबंधन संस्थानों के छात्र-छात्रा नई दिशा देंगे. ओडीओपी के तहत अलीगढ़ के तालों को कैसे तकनीक से जोड़कर और बेहतर बनाया जाए या फिर कन्नौज के इत्र और भदोही के कालीन की अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रबंधन में क्या नया पन हो, इसके सुझाव अब छात्र-छात्रा देंगे.


विद्यार्थियों से लिए जाएंगे सुझाव
ओडीओपी से विद्यार्थियों को जोड़ने के लिए राज्य सरकार सूक्ष्म मध्यम एवं लघु उद्योग विभाग ने डॉ एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के साथ मिल कर नवंबर के अंत में हैकाथन का आयोजन करेगा. इसमें ओडीओपी पर विद्यार्थियों से सुझाव लिए जाएंगे. इसमें 250 से अधिक संस्थानों के छात्र-छात्राओं के शामिल होने की उम्मीद है.


यूपी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना
'वन डिस्ट्रिक वन प्रोडक्ट' उत्तर प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है. इनमें से तमाम ऐसे उत्पाद हैं जो अपनी पहचान खो रहे थे. तकनीक और प्रबंधन के जरिए उत्तर प्रदेश सरकार 'वन डिस्ट्रिक वन प्रोडक्ट' योजना के तहत इन उत्पादों को नई पहचान दिलाने का काम कर रही है.


बेहतर प्रबंधन के सुझाव देंगे छात्र
एमएसएमई से समझौते के बाद एकेटीयू पूरे प्रदेश के 250 से अधिक तकनीकी और प्रबंधन संस्थानों के छात्रों के लिए हैकाथन का आयोजन करेगा. इसमें बीटेक के छात्र-छात्राएं शामिल होंगे. ओडीओपी योजना से जुड़े उत्पादों को कैसे तकनीक से जोड़कर बेहतर बनाया जाए, जिससे ये उत्पाद अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान बना सके इस बारे में जानकारी भी दी जाएगी. वहीं, विश्वविद्यालय से जुड़े प्रबंधन संस्थानों के छात्र उत्पादों के बेहतर प्रबंधन के सुझाव देंगे.


आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार होगा
एकेटीयू के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक का कहना है कि छात्रों के इनोवेटिव आइडिया से उत्पादों को एक नई पहचान मिलेगी. प्रदेश के उत्पादों को बढ़ावा मिलने के साथ प्रधानमंत्री का आत्मनिर्भर भारत का सपना भी साकार होगा.


राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज बने नोडल सेंटर
हैकाथन आयोजित करने के लिए यूपी के 14 इंजीनियरिंग कॉलेजों को नोडल सेंटर बनाया गया है. इसमें कन्नौज स्थित राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज अपने आसपास जिलों के संस्थानों के छात्रों का पंजीकरण करेगा. इन संस्थानों के छात्र कन्नौज के इत्र, एटा का घुंघरू, आजमगढ़ की ब्लैक पॉटरी आदि उत्पादों को बढ़ावा देने का काम करेंगे. इसी तरह दूसरे जिलों के राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज नोडल सेंटर बनकर अपने और आसपास के जिलों के उत्पादों को आगे बढ़ाने का काम करेंगे.



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