राजा भैया के गढ़ में सपा को बढ़त, जानें- जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी के लिए सियासी समीकरण
प्रतापगढ़ जिले की राजनीति में हलचल साफ दिख रही है. जिला पंचायत की 57 सीटों की घोषणा के बाद जोड़ तोड़ की राजनीति शुरू हो गई है.
प्रतापगढ़: उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में जिला पंचायत की 57 सीटों की घोषणा के बाद जोड़ तोड़ की राजनीति शुरू हो गई है. सूत्रों के अनुसार समाजवादी पार्टी 17 सीटें लेकर सबसे आगे है लेकिन भाजपा भी 7 सीटों के दम पर जिला पंचायत की कुर्सी पर अपना निशाना साध रही है. कांग्रेस 5 सीटों के साथ जिले की राजनीति पर पैनी नजर रखे हुए है. वहीं, राजा भैया की जनसत्ता दल लोकतांत्रिक 8 सीटें लेकर अन्य के अपने पास आने का इंतजार कर रहे हैं.
नजर आ रही है सियासी हलचल
प्रतापगढ़ जिले की राजनीति में हलचल साफ दिख रही है. एक तरफ जहां राजा भैया के रसूख और दबदबे को देखते हुए उनकी पार्टी से जिला पंचायत अध्यक्ष के कयास लग रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ सपा अपनी 17 सीटों के दम पर पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी का सपना सजा रही है.
राजा भइया के गढ़ में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के करीबी अभय कुमार सिंह उर्फ पप्पन सिंह की धर्मपत्नी क्षमा सिंह भी जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीत गई हैं. सूत्रों के अनुसार क्षमा सिंह को लेकर साथ ही सत्ता के रसूख के जरिए भाजपा कोई दांव खेल सकती है. अब देखना ये होगा कि एक तरफ कैबिनेट मंत्री राजेन्द्र प्रताप सिंह उर्फ मोती सिंह और भाजपाई अपनी साख आला कमान के सामने बचाने के लिए अपने तरकश से कौन सा नया तीर चलाएंगे. दूसरी तरफ कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले प्रमोद तिवारी और आराधन मिश्रा 5 सीट के साथ किसको समर्थन देते हैं ये भी देखना दिलचस्प होगा.
इस तरह के हैं समीकरण
अन्य जिनके पाले में 27 सीट हैं वो भी इसी ताक में रहेंगे कि कहां उनको फायदा मिलेगा. क्योंकि, भाजपा का साथ देते हैं तो सत्ता के सुख में से कुछ सुख उनको भी मिलेगा. राजा भैया के साथ जाते हैं तो हो सकता है जिस तरह का राजनीतिक माहौल प्रतापगढ़ में है उस माहौल में सभी वो न कर पाएं जो वो करना चाहते हैं. क्योंकि, राजा भैया, सपा मुखिया और भाजपा के आलाकमान का छत्तीस का आंकड़ा है. इसलिए, पंचायत कुर्सी के लालच में अन्य 27 जिला पंचायत सदस्य किसी भी पार्टी को समर्थन देने में हजार बार सोचेंगे.
विधानसभा चुनाव में भी दिखेगा असर
भाजपा के विधायक, मंत्री और जिला भाजपा कार्यकारिणी खुद को साबित करने के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगा देगी. लेकिन, भाजपा पार्टी की अंतर्कलह और जिनका टिकट पंचायत चुनाव में कटा वो अभी नाखुश हैं और इसका असर आगामी विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिल सकता है. भाजपा के लिए ये कहा जा सकता है कि ऊपर से तो 'हम साथ साथ हैं' लेकिन भीतर से 'हम आपके हैं कौन' वाली स्थिति हो गयी है. प्रतापगढ़ में जिला पंचायत की कुर्सी अभी और क्या रंग दिखाएगी ये आने वाला समय ही बताएगा.
ये भी पढ़ें: