पंचायत पॉलिटिक्स: प्रयागराज में दांव पर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की साख, आसान नहीं होगी बीजेपी की राह
केशव मौर्य के सीधे दखल के बावजूद बीजेपी अब भी बहुमत के आंकड़े से तकरीबन एक तिहाई दूर ही है. बीजेपी और सपा में कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है.
प्रयागराज: जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लाक प्रमुखों के चुनाव का औपचारिक एलान अभी भले ही न हुआ हो, लेकिन संगम नगरी प्रयागराज में सियासी पार्टियों ने अपनी जोड़-तोड़ शुरू कर दी है. यहां पंचायत अध्यक्ष और ब्लाक प्रमुखों की ज़्यादातर सीटों पर केंद्र और यूपी की सत्ता पर काबिज़ बीजेपी और समाजवादी पार्टी में सीधा मुकाबला होने की उम्मीद जताई जा रही है. निर्दलीयों और समाजवादी पार्टी के बाद तीसरे नंबर पर रही भारतीय जनता पार्टी ने इस चुनाव को अपनी नाक का सवाल बना लिया है. अपने गृहनगर प्रयागराज में बीजेपी का कमल खिलाने के लिए खुद डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कमान संभाल ली है. पिछले दिनों उन्होंने निर्दलीय व विपक्षी पार्टियों के 15 जिला पंचायत सदस्यों को बीजेपी के पाले में लाकर पार्टी की ताकत दोगुनी बढ़ा दी है.
हालांकि केशव मौर्य के सीधे दखल के बावजूद बीजेपी अब भी बहुमत के आंकड़े से तकरीबन एक तिहाई दूर ही है. ऐसे में जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर बीजेपी का कमल खिलना कतई आसान नहीं होगा. कमोवेश यही हालात जिले में ब्लाक प्रमुखों की 23 सीटों पर भी हैं. समाजवादी पार्टी ने जिला पंचायत अध्यक्ष के साथ ही ब्लाक प्रमुखों की 23 में से इक्कीस सीटों पर उम्मीदवारों के नामों का एलान कर मजबूत दावेदारी पेश कर दी है, लेकिन इन सबके बावजूद सत्ताधारी बीजेपी को कतई कमतर नहीं आंका जा सकता. बीजेपी ने अभी किसी भी पद पर अपने उम्मीदवार के नाम का एलान नहीं किया है. वैसे फिलहाल यहां सत्ता की चाभी बीजेपी की सहयोगी पार्टी अपना दल एस और बीएसपी के साथ ही निर्दलीयों के हाथ में रहेगी. परिस्थितियों के मुताबिक़ ये तीनों सपा या बीजेपी में से जिसके भी साथ जाएंगे, उसकी स्थिति मजबूत हो जाएगी.
जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए समाजवादी पार्टी ने मालती यादव को अपना उम्मीदवार घोषित किया है. मालती के नाम के सहारे सपा पिछड़े वर्ग के वोटरों को साधने की फिराक में है. बीजेपी निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष रेखा सिंह और वीके सिंह में से किसी एक पर दांव आजमाएगी. इनमे वीके सिंह को ही उम्मीदवार बनाए जाने की संभावना सबसे ज़्यादा है. बीएसपी -कांग्रेस व कोई निर्दलीय उम्मीदवार जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर दावेदारी करने में फिलहाल दिलचस्पी दिखाता नहीं नज़र नहीं आ रहा है.
बीजेपी ने अपने ज़्यादातर बागियों को वापस अपने पाले में ले लिया है
प्रयागराज में जिला पंचायत की कुल 84 सीटें हैं. जीत के लिए किसी भी उम्मीदवार को कम से कम 43 सदस्यों का समर्थन जुटाना होगा. पिछले महीने वोटों की गिनती के बाद जो नतीजे जारी हुए थे, उनमे बीजेपी को पंद्रह, बीजेपी के बागियों को तेरह, समाजवादी पार्टी को पचीस, बीएसपी को चार, कांग्रेस को एक, आम आदमी पार्टी को दो, अनुप्रिया पटेल की अपना दल एस को चार और असदउद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम को दो सीटों पर जीत हासिल हुई थी. इसके अलावा अठारह निर्दलीय उम्मीदवारों के सिर भी जीत का सेहरा बंधा था.
बीजेपी ने अपने ज़्यादातर बागियों को वापस अपने पाले में ले लिया है. समाजवादी पार्टी ने एमआईएम के एक और दो निर्दलीयों को शामिल कराकर मजबूत चुनौती पेश की है. ऐसे में कयास यही लगाए जा रहे हैं कि डिप्टी सीएम की साख दांव पर होने के बीच प्रयागराज में जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर बीजेपी और सपा में कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है. वैसे बीजेपी ने डैमेज कंट्रोल करते हुए पंचायत चुनाव में मिली करारी हार के ग़म को कुछ कम करने के लिए ऑपरेशन पंचायत अभियान शुरू कर दिया है.
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