लखनऊ: उत्तर प्रदेश में सबकी निगाहें अब पंचायत चुनाव पर लग गई हैं. 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले सियासी पार्टियों के लिए अपना दमखम दिखाने का पंचायत चुनाव सबसे अच्छा मौका है. यही वजह है कि सियासी दल इस पंचायत चुनाव में पूरे दमखम के साथ उतरने की तैयारी कर रहे हैं. फिर चाहे सत्ताधारी बीजेपी हो, समाजवादी पार्टी हो, कांग्रेस हो या फिर उत्तर प्रदेश की सियासत में एंट्री करने की तैयारी में जुटी आम आदमी पार्टी हो या ओवैसी की एआईएमआईएम. सभी इन पंचायत चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारने में जुटे हैं.
दरअसल, उत्तर प्रदेश में पंचायत के चुनाव मार्च के दूसरे हफ्ते में प्रस्तावित हैं और तकरीबन एक महीने तक यह चुनाव चलेंगे. इस बार चुनाव साल 2010 में जिस पैटर्न पर हुए थे उसी पैटर्न पर कराने की तैयारी है. यानी सभी चारों पदों के लिए चुनाव एक चरण में एक साथ कराया जाएगा. जबकि 2015 में क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत के चुनाव चार चरणों में अलग कराए गए थे और प्रधानों के चुनाव चार चरणों में अलग कराए गए थे. लेकिन इस बार ग्राम प्रधान, सदस्य ग्राम पंचायत, सदस्य क्षेत्र पंचायत और सदस्य जिला पंचायत के चुनाव एक साथ एक चरण में ही कराए जाने की तैयारी है.
22 जनवरी को प्रकाशित हो चुकी है वोटर लिस्ट
उत्तर प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव के लिए फाइनल वोटर लिस्ट 22 जनवरी को प्रकाशित भी हो चुकी है और इस बार इन चुनाव में वोटरों की कुल संख्या 12 करोड़ 40 लाख से ज्यादा है. जबकि 2015 में कुल वोटरों की संख्या 11 करोड़ 70 लाख थी. वहीं 2015 में कुल 1 लाख 79 हजार पोलिंग स्टेशन बनाए गए थे, जबकि इस बार के चुनाव के लिए पोलिंग बूथों की संख्या 2 लाख 2 हजार के आसपास होगी.
ग्राम पंचायतों की संख्या 2015 के मुकाबले कुछ कम
उत्तर प्रदेश में हालांकि इस बार ग्राम पंचायतों की संख्या 2015 के मुकाबले कुछ कम हुई हैं. क्योंकि कई ग्राम पंचायतों को अलग-अलग नगर निगमों में शामिल कर लिया गया है. साल 2015 में जहां कुल ग्राम पंचायतें 59,162 थी वहीं इस बार इनकी संख्या घटकर 58,194 हो गई है.
हालांकि इस बार पंचायत चुनाव में नए नियमों के तहत इलेक्शन कराने की बात हो रही थी, जिसमें 2 से ज्यादा बच्चों और शिक्षा का भी एक क्राइटेरिया रखने की बात चर्चा में थी. लेकिन इसके लिए पंचायत चुनाव के निर्वाचन एक्ट में बदलाव की जरूरत पड़ती और अभी तक इस एक्ट में सरकार की तरफ से बदलाव के लिए कोई भी प्रस्ताव सदन में नहीं लाया गया है. ऐसे में ये माना जा रहा है कि यह पंचायत चुनाव पुराने नियमों के तहत ही होंगे और आरक्षण की भी पुरानी व्यवस्था ही लागू रहेगी. लेकिन इतना जरूर है कि इन पंचायत चुनाव के नतीजे 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले जनता के मूड को बताने के लिए काफी अहम साबित होंगे.
यह भी पढ़ें-
बिजनौर में Tractor Rally के दौरान फायरिंग, वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने की कार्रवाई