कोई एक वोट से जीता, तो किसी को तीन वोट से मिली हार, यूपी में पंचायत चुनाव ने दिखाए अलग रंग
UP Gram Panchayat Chunav Result 2021 Winners List: उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनावों ने वो सभी रंग दिखा दिए जिन रंगों के बार में प्रत्यशियों ने कभी सोचा तक नहीं होगा.
प्रतापगढ़: उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनावों के लिए वोटों की गिनती कल से ही जारी है. इस दौरान अलग-अलग जिलों के नतीजे लगातार आ रहे हैं. इस बीच प्रतापगढ़ में पंचायत चुनाव ने वो सभी रंग दिखा दिए जिन रंगों के बार में प्रत्यशियों ने कभी सोचा तक नहीं होगा. प्रतापगढ़ में पंचायत चुनाव मतगणना में बहुत सारी ग्राम प्रधान की सीटों पर बेहद कड़ा मुकाबला भी देखने को मिला है. लेकिन कालाकांकर ब्लॉक की शेषपुर धनापुर ग्राम पंचायत में सुषमा मौर्या ने सिर्फ एक वोट से जीत दर्ज की. सुषमा को 254 वोट जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी विजय सिंह को 253 वोट मिले.
वहीं सदर ब्लॉक के नौबस्ता गांव में शीलू ने अपने प्रतिद्वंद्वी विश्व प्रकाश को मात्र तीन वोटों से प्रधानी के काटे के मुकाबले में परास्त कर दिया. शीलू को 217 मत जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी विश्व प्रकाश को 214 मत मिले. शीलू ने तीन वोट के मामूली अंतर से जीत दर्ज कर लिया. मधवापुर ग्राम पंचायत की प्रत्याशी श्यामवती ने सिर्फ पांच वोटो से जीत दर्ज किया. श्यामवती को 302 मत जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी उर्मिला देवी को 297 मत मिले.
मृतक प्रत्याशी ने जीत का परचम लहरा दिया
वहीं दूसरी तरफ पंचायत चुनाव में एक मृतक प्रत्याशी ने जीत का परचम लहरा दिया तो मतगणना स्थल पर हड़कम्प मच गया. कालाकांकर ग्राम पंचायत की निवर्तमान प्रधान मंजू सिंह की पंचायत चुनाव की वोटिंग के बाद तबीयत बिगड़ गयी. 19 अप्रैल को दूसरे चरण में हुए मतदान के बाद बीमारी से प्रधान प्रत्याशी मंजू सिंह की मौत हो गयी. मतगणना के बाद जब आज परिणाम आया तो उनको विजयी घोषित किया गया. 2021 के पंचायत चुनाव में मंजू सिंह के सामने उनके परिवार के ऐश्वर्य प्रताप सिंह चुनावी मैदान में थे. रविवार को हुई मतगणना के बाद मृतक मंजू सिंह को 451 वोट पाकर विजयी घोषित किया गया. जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी ऐश्वर्य प्रताप को 303 वोट मिले. इस प्रकार मृतक मंजू जिंदगी से जंग हारने के बाद भी प्रधानी की जंग जीत ली. जबकि तीन दिन पहले बीमारी के लड़ते हुए उनकी इलाज के दौरान मौत हो गयी.
कालाकांकर की निवर्तमान प्रधान मंजू सिंह पहली बार साल 2000 मे निर्विरोध ग्राम प्रधान चुनी गयी थीं. 2005 में ग्राम पंचायत की सीट आरक्षित होने पर उन्होंने अपने समर्थित प्रत्याशी राम लखन सरोज को जीत दिलाई. 2010 में मंजू के हाथ मे ग्राम प्रधान की सत्ता पुनः चली गयी. 2015 में मंजू सिंह फिर से अपने गांव से निर्विरोध ग्राम प्रधान निर्वाचित हुई. मंजू देवी ये नहीं जानती थीं कि चुनावी जंग जीतते जीतते वो खुद की ज़िंदगी की जंग हार जाएंगी.
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