रायबरेली: कमला नेहरू सोसायटी मामले में केस दर्ज, कांग्रेस की बागी विधायक बोलीं- योगी जी धन्यवाद
रायबरेली में कमला नेहरू सोसायटी से जुड़े फर्जीवाड़े को लेकर प्रशासन ने केस दर्ज कराया है. वहीं, केस दर्ज होने के बाद कांग्रेस की बागी विधायक अदिति सिंह ने योगी सरकार का धन्यवाद किया है.
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रायबरेली. कमला नेहरू सोसायटी की जमीन के मामले में सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है. धोखाधड़ी के मामले में कांग्रेस की पूर्व सांसद शीला कौल के बेटे व सोसायटी के अन्य सदस्यों समेत तत्कालीन एडीएम और कर्मचारियों के खिलाफ जिला प्रशासन ने केस दर्ज कराया है. मुकदमा दर्ज होने के बाद कांग्रेस की बागी विधायक अदिति सिंह ने योगी सरकार का धन्यवाद किया है.
रायबरेली में कमला नेहरू एजुकेशन सोसाइटी की जमीन को लेकर अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व प्रेम प्रकाश उपाध्याय ने शहर कोतवाली में सरकारी अभिलेखों में छेड़छाड़ व धोखाधड़ी के मामले में एफआईआर दर्ज कराई है. ट्रस्ट की जमीन को गलत तरीके से फ्रीहोल्ड कराने के आरोप में विक्रम कौल, ट्रस्ट के सचिव सुनील देव समेत तत्कालीन एडीएम एफआर मदन पाल आर्य, सब रजिस्ट्रार घनश्याम, प्रशासनिक अधिकारी विंध्यवासिनी प्रसाद, नजूल लिपिक राम कृष्ण श्रीवास्तव, गवाह सुनील कुमार, तत्कालीन तहसीलदार कृष्ण पाल सिंह, प्रभारी कानूनगो प्रदीप श्रीवास्तव, लेखपाल प्रवीण कुमार मिश्रा, नजूल लिपिक छेदी लाल जौहरी समेत लगभग एक दर्जन जिम्मेदारों पर सरकारी दस्तावेजों में छेड़छाड़ व हेराफेरी का मुकदमा दर्ज कराया गया है.
दरअसल, सोसायटी को जिला प्रशासन द्वारा 90 के दशक में करीब 5 बीघा नजूल भूमि दी गई थी. भूमि को फ्री होल्ड करने के लिए सोसाइटी द्वारा जिला प्रशासन से एक अर्जी दी गई. इस अर्जी पर जिला प्रशासन ने 2003 में जमीन को सोसायटी के नाम फ्री होल्ड कर दिया. जमीन पर सोसायटी का कब्जा नहीं हो सका. कब्जे के लिए सोसायटी के पदाधिकारियों ने कोर्ट की शरण ली. जिसके बाद कोर्ट ने अवैध कब्जा हटवाकर सोसाइटी के नाम जमीन करने का आदेश दिया. आदेश के अनुपालन में जिला प्रशासन ने अवैध कब्जेदारों से कब्जा हटवा तो दिया, लेकिन कमला नेहरू ट्रस्ट को जमीन नही सौंपी गई क्योंकि जिन अभिलेखों के दम पर ट्रस्ट के लोग जमीन लेना चाहते थे उनमें छेड़छाड़ की गई थी. इसे गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने कड़ा कदम उठाया.
क्यों हुआ जमीन पर विवाद? कमला नेहरू एजुकेशन सोसायटी की जमीन उस समय विवादों के घेरे में आई जब सोसायटी ने जमीन बेचने के लिए सपा के पूर्व सांसद बालकुमार पटेल से एग्रीमेंट किया. प्रदेश में सपा सरकार के जाने के बाद बालकुमार पटेल के साथ किया गया एग्रीमेंट निरस्त कराया गया. कुछ समय बाद सोसाइटी ने बीजेपी नेता के भाई के साथ एग्रीमेंट कर दिया. इसके बाद से जमीन पर कब्जेदारी को लेकर मामला बड़ी तेजी से उछला.
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