सिपाही कर रहा था प्रॉपर्टी डीलिंग का कारोबार, पद का दुरुपयोग कर किया भ्रष्टाचार, FIR दर्ज
यूपी पुलिस के हेड कॉन्स्टेबल पर भ्रष्टाचार के आरोप सिद्ध हुये. पद का दुरुपयोग करते हुये वो लोगों का डराता धमकाता था. यही नहीं, ट्रांसफर, पोस्टिंग के लिये दवाब भी बनाता था. जांच में आय से अधिक संपत्ति का पता चला है.
लखनऊ: भ्रष्टाचार निवारण संगठन में तैनात रहे और वर्तमान में बस्ती के डीआईजी ऑफिस में नियुक्त हेड कांस्टेबल सतीश कुमार द्विवेदी भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों में घिर गए हैं. हेड कांस्टेबल के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण संगठन की इंस्पेक्टर अनुराधा सिंह ने मोहनलालगंज कोतवाली में आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने की एफआईआर दर्ज कराई है. सतीश कुमार द्विवेदी मोहनलालगंज के पुरसैनी गांव के ही रहने वाले हैं.
अपने पद का करता था दुरुपयोग
भ्रष्टाचार निवारण संगठन की जांच में सिपाही पर कई तरह के गंभीर आरोप सिद्ध पाए गए. इंस्पेक्टर अनुराधा सिंह की जांच में सामने आया कि सिपाही सतीश कुमार द्विवेदी अभिसूचना संकलन में भ्रष्टाचार में लिप्त था. वह सरकारी नौकरी करते हुए भी प्रॉपर्टी डीलिंग का कारोबार कर रहा था. वह अपने पद का दुरुपयोग करता था. अपने स्वार्थ के लिए न्यायाधीशों और पुलिस अधिकारियों का नाम लेकर उन्हें बदनाम करता था. सिपाहियों और कर्मचारियों पर उन्हें ट्रांसफर कराने का दबाव बनाता था. सरकारी कार्य किए बगैर सरकार से वेतन यात्रा भत्ते और महंगाई भत्ते प्राप्त करता था.
5 साल के आय-व्यय की हुई थी जांच
हेड कांस्टेबल सतीश कुमार द्विवेदी पर जब भ्रष्टाचार के आरोप लगे तो संगठन ने उनके 5 साल के आय और व्यय की जांच कराई. 1 फरवरी 2013 से 28 फरवरी 2019 के बीच हेड कांस्टेबल की आय और व्यय के वैद्य स्रोतों को खंगाला गया. इस अवधि में हेड कांस्टेबल ने वेतन व अन्य ज्ञात वैद्य स्रोतों से 39,30535 रुपए कमाए थे. इस अवधि में परिवार के भरण पोषण व अन्य मदों में सिपाही ने जो रकम खर्च की वह 63,45733 रुपए थी. उनके आय और व्यय के बीच भारी अंतर पाया गया. हेड कॉन्स्टेबल ने अपनी आय से 61 प्रतिशत अधिक यानी 2415188 रुपए खर्च किए. भ्रष्टाचार निवारण संगठन की टीम ने जब उनसे इस बारे में पूछताछ की तो वह कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके और न ही खर्च की गई रकम के वैध दस्तावेज उपलब्ध करा पाए.
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