लखनऊ: सोशल मीडिया अफवाहें फैलाने और धार्मिक जातीय भावनाएं भड़काने का बड़ा जरिया बन चुका है. चूंकि, माहौल चुनावी है इसलिए राजनीतिक व्यक्ति अपने हित में इस प्लेटफार्म का सबसे ज्यादा प्रयोग कर रहे हैं. बीते दिनों गाजियाबाद में इसका नमूना देखने को मिला जिसमें एक बुजुर्ग की पिटाई के वीडियो के जरिए हिंसा फैलाने की कोशिश की गई. हालांकि, पुलिस ने इस मामले में ट्विटर समेत अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करके कुछ लोगों की गिरफ्तारी भी की है. साथ ही ट्विटर को पूछताछ के लिए नोटिस भेजा जा रहा है.
यूपी पुलिस ने गठित की सेल
इन दिनों ज्यादातर लोग सोशल मीडिया का दुरुपयोग कर रहे हैं जो चिंताजनक है. चुनावी माहौल में इसके बड़े दुष्परिणाम भी सामने आने की प्रबल आशंका है. सोशल मीडिया पर लगाम कसने के लिए यूपी पुलिस ने एक सेल गठित की है जो आपत्तिजनक संदेश, मैसेज और फोटो पोस्ट करने वालों पर नजर रख रही है. बीते करीब एक साल में सोशल मीडिया में इस तरह की गतिविधियां ज्यादा देखने को मिली हैं, यही वजह है कि पुलिस ने भी अपनी निगरानी और कार्रवाई का दायरा बढ़ा दिया है. वर्तमान में पुलिस सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर ज्यादा सक्रियता से नजर रखे हुए है.
पुलिस ने दर्ज किए हैं मुकदमे
पुलिस ने अब तक प्रदेश के विभिन्न जिलों में सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने, फर्जी सूचनाएं वायरल करने, सांप्रदायिक धार्मिक और जातिगत सद्भाव को प्रभावित करने के अलावा आपत्तिजनक टिप्पणियां और ट्रोल करने के मामले में 1107 मुकदमे दर्ज किए हैं. इसमें से 118 मुकदमे अफवाहें फैलाने या गलत सूचनाएं प्रसारित करने के हैं. जबकि, 366 मुकदमे सांप्रदायिक सद्भाव प्रभावित करने के हैं. अन्य कारणों से सोशल मीडिया प्लेटफार्म का दुरुपयोग करने के 623 मुकदमे हैं. इस मामले में पुलिस ने कई लोगों की गिरफ्तारियां भी की हैं.
सोशल मीडिया पर है नजर
एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार का कहना है कि यूपी पुलिस मुख्यालय में सोशल मीडिया सेल चल रही है और इस सेल से रोज सोशल मीडिया में आ रही सूचनाओं, टिप्पणियों और पोस्ट की समीक्षा की जा रही है. उन्होंने बताया कि समय-समय पर सभी जिलों के पुलिस प्रमुखों को भी सोशल मीडिया से संबंधित अपडेट और दिशा निर्देश जारी किए जाते हैं.
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