UP News: उत्तर प्रदेश में पुलिस व्यवस्थाओं को जनता की सुरक्षा और देखरेख के लिए हाईटेक बनाने की तरफ लगातार प्रयास जारी है. अब इसी कड़ी में लखनऊ के बाद वाराणसी और वाराणसी जोन से संबंधित गाजीपुर, जौनपुर, चंदौली, आजमगढ़, भदोही और मिर्जापुर जैसे जिलों में POC (पुश टू टॉक ऑन सेल्यूलर) का ट्रायल शुरू हो गया. जिसके बाद आने वाले समय में अब वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट में एक दूसरे से वायरलेस सेट से नहीं बल्कि मोबाइल से ही कनेक्ट होने में मदद मिलेगी.


मिल रही जानकारी के अनुसार बाहरी जिलों के पुलिस अफसरों और थाना प्रभारियों से सीधे वन टू वन बात करने में पुश टू टॉक ऑन सेल्यूलर सिस्टम से काफी मदद मिलेगी. POC सॉफ्टेवेयर के जरिए बात करने के साथ ही फोटो, वीडियो और मैसेज भी शेयर किए जा सकेंगे. जिससे पुलिस अधिकारी कम समय में किसी भी मामले में अपने मातहतों से तेजी से जानकारी इक्ट्ठा कर सकेंगे. इसके


क्या है POC


डॉ संजय एम तरडे पुलिस महानिदेशक दूरसंचार ने POC के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि 'POC यानी पुश टू टॉक ऑन सेल्यूलर एक सॉफ्टवेयर है, जिसे मोबाइल में अपलोड किया जा रहा है. यह पूरी तरह से उच्च तकनीक पर आधारित गोपनीयता बनाए रखने वाली तेज कनेक्टिविटी वाली एक व्यवस्था है. इसे पूरे प्रदेश के हर जिलों में एक साथ लागू करने के लिए ट्रायल चल रहा है.'


डॉ संजय एम तरडे ने बताया कि 'यूपी पुलिसकर्मियों के मोबाइल में POC सिस्टम अपलोड होने के बाद कुछ ही सेकंड में एक-दूसरे से कनेक्ट किया जा सकता है और आवश्यक संदेशों का आदान-प्रदान भी बेहद आसान हो जाएगा. यह POC आम लोगों के इस्तेमाल में नहीं है इसलिए यह गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड नहीं होगा.


POC और वॉकी टॉकी में क्या है फर्क


POC की कनेक्टिविटी वॉकी-टॉकी से कहीं ज्यादा तेज होगी, बेहद कम समय में एक दूसरे से संपर्क करते हुए सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जा सकता है. इसके जरिए किसी भी घटनास्थल या मौके की लाइव रिकॉर्डिंग को पूरी तरह सुरक्षित रखा जा सकेगा. POC जीपीएस से भी युक्त होगा जो पुलिसकर्मियों की सही लोकेशन को बताने में सक्षम होगा. इसके अलावा न्यायिक कार्यवाही और विवेचना में भी साक्ष्य और सबूत के तौर पर यह मुख्य आधार बन सकता है.


वाराणसी के लिए यह सुरक्षा व्यवस्था काफी अहम होगी क्योंकि वाराणसी में VIP आगमन, सांस्कृतिक कार्यक्रम और धार्मिक नगरी होने की वजह से प्रशासनिक जिम्मेदारी अधिक है. ऐसे में यह व्यवस्था सूचना आदान-प्रदान करने के दृष्टिकोण से काफी उपयोगी हो सकती है.


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