UP News: कौशांबी में टावर चोरी का फर्जी मामला, पुलिस ने कंपनी के खिलाफ शुरू की जांच
Kaushambi News: कौशांबी से मोबाइल टावर चोरी की घटना ने सभी को हैरत में डाल दिया है. वहीं कंपनी की ओर से एफआईआर करने के बाद पुलिस ने जांच में कंपनी को ही दोषी पाया है.
UP News: यूपी के कौशांबी में मोबाइल टावर चोरी का अजीबोगरीब मामला सामने आया है. टावर कंपनी ने चोरी के 9 महीने बाद ऑनलाइन तहरीर देकर रिपोर्ट दर्ज कराई है. पुलिस ने सनसनीखेज खुलासा करते हुए टावर लगाने वाली कंपनी के खिलाफ ही जांच शुरू कर दी है. एसपी बृजेश श्रीवास्तव के अनुसार जमीन मालिक से विवाद होने के बाद कंपनी ने खुद टावर खुलवा लिया था. लगभग 9 महीने बाद टावर चोरी होने का ऑनलाइन मुकदमा दर्ज कराया था. मामले में कंपनी के खिलाफ 182 की कार्रवाई की जा रही है क्योंकि कंपनी ने झूठा मुकदमा दर्ज करवाया है.
दरअसल सन्दीपन घाट थाना क्षेत्र के उजिहिनी खालसा गांव के उबैद उल्ला पुत्र मजीद उल्ला की जमीन पर GTL इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी ने वर्ष 2010 में मोबाइल टावर लगाया गया था. किराया बढ़ाने को लेकर जमीन मालिक और मोबाइल कंपनी के बीच विवाद हो गया था. जमीन मालिक कम किराया नहीं लेना चाहता था. उसने किराया बढ़ाने की बात कही थी. बावजूद इसके कंपनी नहीं मानी और लिखापढ़ी के बाद जनवरी 2023 में टावर खुलवा लिया. प्रतापगढ़ जनपद के रानीगंज थाना के रस्तीपुर के रहने वाले राजेश यादव पुत्र स्व भगवती दीन यादव GTL इंफ्रास्टेक्चर लिमिटेड कंपनी मे बतौर टेक्निसियन तैनात है.
अचानक गायब हुआ टावर का स्ट्रक्चर
कंपनी के मुताबिक उनके टेक्नीशियन राजेश यादव ने 31 मार्च 2023 को विजिट किया तो जिस जमीन पर टावर लगा था. वहां से टावर का पूरा स्ट्रक्चर और सेटअप गायब मिला. जमीन के मालिक से पूछताछ किया गया लेकिन उसने मामले में जानकारी होने से साफ इंकार कर दिया. कंपनी के इंजीनियर ने चोरी की घटना सामने आने के 9 महीने बाद 28 नवम्बर को अज्ञात चोरों के खिलाफ ऑनलाइन मुकदमा दर्ज कराया. बताया जा रहा है कि इस कंपनी के कौशांबी जिले के अलग-अलग क्षेत्र में दर्जनभर से अधिक टावर लगाए थे. जिसमें से एक पूरे टावर को ही चोरों ने गायब कर दिया है. पुलिस ने मुकदमा के आधार पर जांच शुरू की तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ.
10 साल का था अनुबंध
पुलिस के मुताबिक टावर लगाने वाली कंपनी ने 2010 में जमीन मालिक उबैदुल्लाह के साथ 10 साल के अनुबंध पर साइन करने के बाद टावर लगवाया था. 10 साल पूरे हो जाने के बाद कंपनी पहले से कम रेट देकर टावर उसी स्थान पर लगे रहना देना चाहती थी लेकिन जमीन मालिक ने इस बात से इनकार कर दिया और किराए की धनराशि बढ़ाने की बात कही. इसके बाद कंपनी के कर्मचारियों ने जनवरी 2023 में लिखा पढ़ी कर टावर खुलवा लिया. बाद में 31 मार्च की घटना दिखाकर बिना थाने पहुंचे ऑनलाइन मुकदमा दर्ज करा दिया.
कंपनी के खिलाफ पुलिस कर रही कार्रवाई
जमीन मालिक ने पुलिस को टावर खुलवाते समय कंपनी द्वारा दिए गए कागजात मांगे. जमीन मालिक ने कागजात लिया, जिसके बाद पुलिस को कंपनी के कारनामों के बारे में पता चला. मामले में कंपनी के खिलाफ 182 की कार्रवाई शुरू कर दिया है. टावर व पूरे सेटअप की कीमत करीब 8,52,025 रुपये और WDV की कीमत 4,26,818 रुपये बताई जा रही है. राजेश यादव के मुताबिक उन्होंने टावर के लापता होने की सूचना कंपनी को प्रेषित की है कार्यवाही होने में 9 माह का समय लग गया. इसकी वजह से मुकदमा दर्ज कराने में देरी हुई है.
पुलिस ने मामले को बताया झूठा
पुलिस अधीक्षक बृजेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि प्रकरण थाना संदीपन घाट का है. यहां एक कंपनी ने अपना टावर लगा रखा था. जमीन मालिक और कंपनी मालिक के बीच डिस्ट्रीब्यूशन होने की वजह से जनवरी 2023 में रिसीविंग करते हुए टावर और अपने सभी सामान ले गए थे और उसके बाद ऑनलाइन एक एफआईआर दर्ज कराया. जिसमें मार्च 2023 की घटना दिखाया गया है. यह घटना पूरी तरीके से झूठी है. इस पूरे मामले में जो विधिक कार्रवाई की है और गैंग में जो भी लोग शामिल हैं, उनको चिन्हित कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है.
टावर कंपनी का कहना है कि उनका पूरा टावर चला गया है और यह मार्च 2023 की घटना है. इसीलिए उन्होंने ऑनलाइन एफआईआर दर्ज कराया था. यह पूरी रिसीविंग मिल गई है. इसमें विवेचना करके जो भी सही तथ्य हैं. उन्हें सामने लाया जाएगा. आगे जिन लोगों ने झूठी रिपोर्ट दर्ज कराई है. उनके खिलाफ 182 की कार्रवाई की जाएगी.
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