लखनऊ, एबीपी गंगा। नागरिकता संशोधन कानून पर उत्तर प्रदेश के तमाम शहरों में हिंसा पर अफसरों ने चुप्पी साध रखी है। किसी के पास कोई जवाब नहीं है। अलीगढ़, मऊ से लेकर लखनऊ तक फेल हुई पुलिसिंग पर राज्य के पुलिस मुखिया डीजीपी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। हालांकि नागरिकता कानून को लेकर खुफिया विभाग ने पहले ही अलर्ट किया था। हिदायत और नसीहतों के बाद भी राज्य में पुलिसिंग फेल हुई। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में एक सप्ताह से प्रदर्शन हो रहा था, प्रशासन इसे रोकने में भी असफल रहा। विरोध प्रदर्शन की आंच यहीं नहीं रुकी मऊ तक पहुंची।
डीजीपी से जब इस संबंध में सवाल पूछा गया तो बिना जवाब दिए वे निकल गए। डीजीपी के पास फेल हुई पुलिसिंग और कानून व्यवस्था सुधारने की योजना पर कोई जवाब नहीं था।
आपको बता दें कि जामिया मिलिया इस्लामिया में पुलिस कार्रवाई के खिलाफ अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में रविवार रात पुलिस और छात्रों के बीच हुई हिंसक झड़प की आंच सोमवार को अलीगढ़ शहर के साथ-साथ राजधानी लखनऊ और मऊ तक पहुंच गयी। अलीगढ़ में छात्र-पुलिस संघर्ष के मामले में कम से कम 21 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। एएमयू टीचर्स एसोसिएशन ने घटना की न्यायिक जांच कराने और रविवार रात विश्वविद्यालय के विभिन्न हिस्सों से हिरासत में लिये गये छात्रों की रिहाई की मांग की है।
मऊ हिंसा की बात करें तो बीती रात सदर चौक पर एकत्र हजारों की भीड़ के सामने जिला तथा पुलिस प्रशासन की टीम बैकफुट पर दिखी। मामला हाथ से निकलता देख डीएम ने बवालियों को देखते ही गोली मारने का आदेश दिया। शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया है।
मऊ में पुलिस प्रशासन लाचार दिखा
नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हजारों की संख्या में युवा सोमवार को सदर चौक पर एकत्र हुए। यहां उन्होंने एनआरसी मुर्दाबाद, सीएबी मुर्दाबाद व केंद्र सरकार की तानाशाही नहीं चलेगी-नहीं चलेगी जैसे नारे लगाए। कुछ ही देर में सदर चौक से लगायत मिर्जाहादीपुरा चौक तक जनसैलाब से पूरी तरह सड़कें जाम हो गईं। इस दौरान आजमगढ़ की ओर से आ रही दो रोडवेज बसों को उपद्रवियों ने क्षतिग्रस्त कर दिया। इन लोगों ने पथराव कर बसों के शीशे तोड़ दिए, इस घटना में कई यात्री घायल हो गए।