अखिलेश यादव, मायावती, राजभर और चंद्रशेखर... रास्ते अलग, मंजिल एक, यूपी में दिखेगी नई सियासी तस्वीर?
UP Politics: उत्तर प्रदेश की सियासत के केंद्रबिन्दु सपा मुखिया अखिलेश यादव, बसपा चीफ मायावती, आसपा नेता और नगीना सांसद चंद्रशेखर और सुभासपा प्रमुख ओपी राजभर नए प्रयोग कर रहे हैं.
UP Politics: उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने कमर कस ली है. पार्टियां न सिर्फ उत्तर प्रदेश में बल्कि अन्य राज्यों के विधानसभा चुनावों में भी अपनी तकदीर आजमाने में जुट गईं हैं. भले ही इन सभी के रास्ते अलग हों लेकिन मंजिल एक ही है. खुद की सियासी ताकत बढ़ाना और उसी के रास्ते उत्तर प्रदेश में अपनी स्थिति को और मजबूत करना.
सपा की नई रणनीति!
समाजवादी पार्टी के सांसदों ने बीते महीने महाराष्ट्र का दौरा किया था. संकेत मिल रहे हैं कि सपा चीफ अखिलेश यादव महाराष्ट्र की सियासी जमीन पर सपा की जड़ें और मजबूत करने की जुगत में हैं. इतना ही नहीं सपा ने हरियाणा और झारखंड के चुनावों में अपने प्रत्याशी उतारने के संकेत दिए हैं. लखनऊ मध्य विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से समाजवादी पार्टी के विधायक रविदास मेहरोत्रा ने बीते दिनों यहां तक कहा था कि कांग्रेस हमें उन राज्यों में सीट बंटवारे में शामिल नहीं कर रही है जहां चुनाव प्रस्तावित हैं.
Milkipur Bypoll: मिल्कीपुर में जातीय समीकरण साधने में जुटी BJP, इस प्रत्याशी पर लगा सकती है दांव
इतना ही नहीं मेहरोत्रा ने यहां तक कहा था कि पार्टी ने इसी के आधार पर उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 10 सीटों के विधानसभा चुनाव में भी सीटों का बंटवारा करेगी. महाराष्ट्र में सपा इकाई के अध्यक्ष अबु आजमी ने सात सीटों की मांग की थी. 2019 के विधानसभा चुनाव में सपा ने सात सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. उसको 2 पर जीत हासिल हुई थी. साल 2014 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले उसकी संख्या में 1 सीट की बढ़ोत्तरी हुई थी.
बसपा का क्या होगा रुख?
बहुजन समाज पार्टी ने हरियाणा में इनेलो के साथ अलायंस किया है. हरियाणा में बसपा अब तक पांच बार अलायंस कर चुकी है. चुनाव में जब उसे उचित परिणाम नहीं मिलते तो वह फिर पार्टी अलायंस भूल जाती है या यूं कहे कि उसे आगे बढ़ाने पर जोर नहीं देती और गठबंधन खुद ब खुद टूट जाता है. जम्मू और कश्मीर में बहुजन समाज पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी. बसपा ने साल 1996 के विधानसभा चुनाव में आखिरी बार सबसे ज्यादा 4 सीटें जीती थी. इसके बाद साल 2002 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने 1 सीट पर अपना परचम लहराया था. 4 जून 2024 को संपन्न हुए लोकसभा चुनावों में भी बसपा ने जम्मू और कश्मीर में उम्मीदवार उतारे थे, हालांकि सभी को हार का सामना करना पड़ा था.
जम्मू और कश्मीर के संदर्भ में यह स्पष्ट नहीं है कि बसपा किसी के साथ अलायंस में आएगी या अकेले ही चुनाव लड़ेगी. वहीं महाराष्ट्र और झारखंड पर अभी तक बसपा ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं. माना जा रहा है कि लखनऊ में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में बसपा महाराष्ट्र और झारखंड पर आखिरी फैसला करेगी.
नगीना सांसद के फैसले का क्या होगा असर?
नगीना सांसद और आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ने हाल ही में हरियाणा विधानसभा चुनाव में दुष्यंत चौटाला की पार्टी जजपा से अलायंस का ऐलान किया है. दोनों दलों के बीच औपचारिक ऐलान मंगलवार दोपहर होगा. इससे पहले नगीना सांसद ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा- 'किसान-कमेरों की लड़ाई, हम लड़ते रहेंगे बिना आराम, ताऊ देवीलाल की नीतियाँ, विचारधारा में मान्यवर कांशीराम. जय भीम, जय भारत, जय जवान, जय किसान, जय संविधान.'
हरियाणा में दोनों के अलायंस का स्वरूप कैसा होगा और कौन सा दल कितनी सीट पर लड़ेगा इस पर फैसला अभी नहीं हुआ है. माना जा रहा है कि दिल्ली में होने वाली प्रेस वार्ता के दौरान ही इस पर जानकारी दी जाएगी. लोकसभा चुनाव में नगीना में मिली जीत से उत्साहित चंद्रशेखर ने ऐलान किया है कि उनकी पार्टी उत्तर प्रदेश में प्रस्तावित 10 सीटों के उपचुनाव पर भी मैदान में उतरेगी. आसपा (कांशीराम) ने प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है. आसपा (कांशीराम) का रुख महाराष्ट्र, झारखंड और जम्मू-कश्मीर को लेकर अभी तक स्पष्ट नहीं है.
सुभासपा, बीजेपी से होगी दूर?
उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के सहयोगियों में से एक सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी भी आगामी विधानसभा चुनावों में अपने लिए सियासी जमीन खोज रही है. बीते ही दिनों राजभर ने महाराष्ट्र में बैठक की. माना जा रहा है कि पार्टी महाराष्ट्र और झारखंड में चुनाव लड़ेगी. राजभर ने बीजेपी के अलावा अन्य दलों से भी गठबंधन के विकल्प खुले रखे हैं. महाराष्ट्र में पार्टी के अधिवेशन के दौरान राजभर ने शिवसेना नेता प्रताप बाबूराव विधानसभा ओवला से भी मुलाकात की थी.
जानकारों का मानना है कि बसपा के अलावा बाकी दो दल क्रमशः आसपा (कांशीराम) और सुभासपा आगामी विधानसभा चुनाव में अपनी स्थित मजबूत दर्शाने के लिए राज्यों के चुनाव में ताल ठोंक रहे हैं. उनका लक्ष्य राज्य की पार्टी से उठकर राष्ट्रीय फलक तक आना भी है. बसपा के संदर्भ में दावा है कि जब तक पार्टी चीफ फुलप्रूफ प्लानिंग नहीं कर लेतीं तब तक वह विधानसभा चुनाव के संदर्भ में गठबंधन का ऐलान नहीं करेंगी.
बीते दिनों जब सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामअचल राजभर ने बसपा और सपा के बीच अलायंस का दावा किया उसके तत्काल बाद ही मायावती की अगुवाई वाली पार्टी ने इसका खंडन कर दिया. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जम्मू और कश्मीर, महाराष्ट्र, झारखंड और हरियाणा विधानसभा चुनाव से किस राजनीतिक दल की नई तस्वीर बनेगी और उसका यूपी की सियासत में क्या असर होगा?